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तापमान में अस्थिरता भी वैश्विक स्तर पर मौतों का बड़ा कारण, 2000 से 2019 के बीच प्रतिवर्ष 17 लाख से ज्यादा की गई जान

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 43 देशों में 750 स्थानों पर तापमान में अस्थिरता और मृत्युदर के बीच संबंधों की पड़ताल की। उन्होंने पाया कि वैश्विक औसत मृत्युदर की तुलना में एशिया आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में मृत्युदर प्रति दशक 4.6 प्रतिशत ज्यादा है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 07:58 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 07:58 PM (IST)
तापमान में अस्थिरता भी वैश्विक स्तर पर मौतों का बड़ा कारण, 2000 से 2019 के बीच प्रतिवर्ष 17 लाख से ज्यादा की गई जान
जलवायु परिवर्तन 21वीं शताब्दी में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा चिंता का कारण

सिडनी, आइएएनएस। एक अध्ययन में पाया गया है कि वर्ष 2000 से लेकर 2019 के बीच दुनियाभर में हुईं कुल मौतों में 3.4 प्रतिशत मौतें तापमान में भिन्नता या परिवर्तनशीलता के कारण हुई हैं। लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि अस्थिर तापमान के कारण 2000-2019 के बीच प्रतिवर्ष 17.5 लाख मौतें हुईं।

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जलवायु परिवर्तन 21वीं शताब्दी में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिंता का कारण हुआ है। मोनाश क्लाइमेट, एयर क्वालिटी रिसर्च (CARE- CARE) यूनिट के डायरेक्टर प्रोफेसर यूमिंग गुओ ने बताया कि हमारे अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि तापमान में अस्थिरता वैश्विक स्तर पर मृत्यु दर में वायु प्रदूषण की तरह ही असर डालता है।

उन्होंने बताया कि तापमान की अस्थिरता लगातार बढ़ती जा रही है, इसलिए मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले उसके दुष्प्रभावों से निपटने के लिए आगे बढ़कर कदम उठाना होगा।

शोधकर्ताओं ने 43 देशों में 750 स्थानों पर किया शोध

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 43 देशों में 750 स्थानों पर तापमान में अस्थिरता और मृत्युदर के बीच संबंधों की पड़ताल की। उन्होंने पाया कि वैश्विक औसत मृत्युदर की तुलना में एशिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में मृत्युदर प्रति दशक 4.6 प्रतिशत ज्यादा है। इसमें भी सर्वाधिक वृद्धि आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड (7.3 प्रतिशत) रही तथा उसके बाद यूरोप (4.4 प्रतिशत) व अफ्रीका (3.3 प्रतिशत) का नंबर रहा।

प्रोफेसर यूमिंग ने बताया कि मौत के बढ़े जोखिम का संबंध अल्प अवधि में तापमान में होने वाले बदलाव से पाया गया है। लेकिन अभी तक इसके बारे में कोई व्यापक अध्ययन नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि उनके अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं, उसके आधार पर तापमान में अस्थिरता का स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव पर ज्यादा ध्यान दिया जाना जरूरी है। 

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