अमेरिका-तालिबान शांति समझौते के बावजूद अफगान सेना पर हमले तेज, 24 घंटे में 95 हमले
पिछले हफ्ते कार्यवाहक रक्षा मंत्री असदुल्ला खालिद ने चेतावनी दी थी कि तालिबान के हमलों में वृद्धि पर अफगान सेना रक्षात्मक मोड में नहीं रहेगी।
काबूल, एजेंसी । युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में हिंसा पर विराम लगाने के लिए पिछले महीने अमेरिका-तालिबान के बीच हुए समझौते के बावजूद 24 घंटों में अफगान सेना के खिलाफ 95 हमले किए हैं। यह हमले अफगानिस्तान के 10 प्रांतों में किए गए। पिछले हफ्ते कार्यवाहक रक्षा मंत्री असदुल्ला खालिद ने चेतावनी दी थी कि तालिबान के हमलों में वृद्धि पर अफगान सेना रक्षात्मक मोड में नहीं रहेगी। रक्षा मंत्रालय ने संकेत दिया है कि वह इन हमलों पर सैन्य प्रतिक्रिया देने में कोई संकोच नहीं करेगी। अमेरिका-तालिबान सौदे पर 29 फरवरी को दोहा में हस्ताक्षर किए थे, जिसका उद्देश्य दशकों के अफगान युद्ध को समाप्त करना था।
गौरतलब है कि फरवरी में कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर दस्तखत हुए थे। भारत समेत 50 देशों के प्रतिनिधि समझौते के लम्हों के गवाह बनें थे। दोनों पक्षों की सहमति से सभी को कतर सरकार ने आमंत्रित किया है। हालांकि इस समझौते के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था कि हम शांति समझौते की करीब से निगरानी करेंगे कि तालिबान अपने वादों को लागू करता है या नहीं। इसके साथ ही हम अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य बलों को निकालने का फैसला लेंगे।
बता दें कि तालिबान ने अभी तक अफगानिस्तान की निर्वाचित सरकार से कोई वार्ता नहीं की है। वह इसे कठपुतली सरकार करार देता है, लेकिन विश्वास बहाली के लिए वार्ता उसी से होनी है। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान के आधे से ज्यादा इलाके पर तालिबान का कब्जा है जबकि बाकी पर अफगानिस्तान सरकार का। इस समझौते के बाद अफगानिस्तान के गृह युद्ध में फंसे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के 15 हजार सैनिकों की वापसी संभव होगी। भारत की ओर से कतर में भारतीय राजदूत पी कुमारन समारोह में शामिल होंगे।