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अफगानिस्‍तान में और बिगड़े हालात, तालिबान सरकार ने लोगों को श्रम के बदले गेहूं देने का किया एलान

तालिबान की वापसी के बाद से अफगानिस्‍तान की आर्थिक स्थितियां बेहद खराब हो गई हैं। आलम यह है कि तालिबान सरकार को मजदूरों को पारिश्रमिक के तौर पर रुपए की जगह गेहूं देने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 05:48 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 06:18 PM (IST)
अफगानिस्‍तान में और बिगड़े हालात, तालिबान सरकार ने लोगों को श्रम के बदले गेहूं देने का किया एलान
तालिबान की वापसी के बाद से अफगानिस्‍तान की आर्थिक स्थितियां बेहद खराब हो गई हैं।

काबुल, एएनआइ। तालिबान की वापसी के बाद से अफगानिस्‍तान की आर्थिक स्थितियां बेहद खराब हो गई हैं। आलम यह है कि तालिबान सरकार को मजदूरों को पारिश्रमिक के तौर पर रुपए की जगह गेहूं देने के लिए विवश होना पड़ रहा है। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान की अंतरिम सरकार ने लोगों को श्रम के बदले गेहूं देने की घोषणा की है। तालिबान ने इस योजना के जरिए काबुल में लगभग 40 हजार लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है। यह योजना अफगानिस्तान के कई प्रमुख शहरों में लागू की जाएगी। 

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तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि यह योजना देश में बेरोजगारी से लड़ने और भूख से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के तहत काबुल में दो महीने में करीब 11,600 टन गेहूं का वितरण किया जाएगा। यही नहीं हेरात, जलालाबाद, कंधार, मजार-ए-शरीफ और पोल-ए-खोमरी सहित देश के बाकी शहरों में 55,000 टन गेहूं वितरित किए जाने की योजना है। इस योजना के तहत सूखे से निपटने के इंतजाम किए जाएंगे। इसमें पहाड़ियों में जल चैनल और जल भंडार छतों की खुदाई शामिल होगी।

मौजूदा वक्‍त में अफगानिस्तान गरीबी, सूखे, बिजली संकट और एक असफल आर्थिक प्रणाली से जूझ रहा है। अभी बीते शनिवार को ही स्वीडिश मंत्री पेर ओल्सन फ्रिध ने आगाह किया था कि यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तेजी से कदम नहीं उठाया तो अफगानिस्तान अराजकता में डूब जाएगा। उनका कहना था कि मौजूदा वक्‍त में अफगानिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था ध्‍वस्‍त होने की कगार पर है। यह पतन अनुमान से कहीं ज्यादा तेजी से हो रहा है। इससे आतंकी समूहों को पनपने के लिए एक माकूल वातावरण उपलब्‍ध होगा।

फ्रिध ने कहा कि स्वीडन तालिबान के जरिए लोगों की आर्थिक मदद नहीं करेगा। वह अफगान नागरिक समाज समूहों के जरिए मानवीय सहायता प्रदान करेगा। बीते दिनों रूस ने भारत की चिंता पर मुहर लगाते हुए तालिबान से दो टूक कहा था कि अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकियों और मादक द्रव्यों का वहां से पड़ोसी देशों में जाने का खतरा पहले से ज्यादा बढ़ गया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि अफगानिस्तान के जो हालात हैं अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन उसका फायदा उठाने की कोशिश में हैं।


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