अपने क्रूर रवैये पर वापस आएगा तालिबान, इस बात के लगातार दे रहा सबूत- एक्सपर्ट
फ्रेंच नेशनल सेंटर फार साइंटिफिक रिसर्च के शोधकर्ता एडम बैक्जो का मानना है कि तालिबान अपने रवैये को बदल नहीं सकता है। उसके क्रूर चेहरे का वापस आना तय है। सबूत भी वो कई बार दे चुका है।
काबुल (एएनआई)। अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर अपनी सरकार का तो गठन कर लिया है लेकिन अब वो यहां पर लंबे समय तक स्थिरता देने के लिए संघर्ष कर रहा है। ये कहना है कि फ्रेंच नेशनल सेंटर फार साइंटिफिक रिसर्च के शोधकर्ता एडम बैक्जो का। उन्होंने पालिसी रिसर्च ग्रुप स्ट्रेटेजिक इंसाइट में लिखा है कि तालिबान बेहद महीन सी लकीर के ऊपर चल रहा है। इसमें एक तरफ नैतिकता है तो दूसरी तरफ वो है जो वो करना चाहता है। इस लिहाज से वो ये भी फैसला नहीं कर पा रहा है कि अपनी सरकार को स्थिरता देने के लिए वो किस तरफ जाए। इसको लेकर वो पूरी तरह से कंफ्यूज हो रहा है।
ब्यूरोक्रेसी की समझ और नियम और कानूनों की जानकारी जिसमें मानवाधिकार भी शामिल है, तालिबान को नहीं है। आपको बता दें कि तालिबान ने अफगान महिलाओं पर सड़कों पर अकेले निकलने तक पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इस तरह की कई रिपोर्ट मीडिया पर दिखाई गई हैं। अफगान महिलाओं पर टीवी ड्रामा करने समेत अफगान महिलाओं पर कई दूसरे प्रतिबंध लगाए गए हैं। इतना ही नहीं तालिबान सरकार ने महिला पत्रकारों और प्रजेंटरों पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए हुए हैं। तालिबानी शासन में महिलाओं को स्क्रीन पर आने के लिए सिर को कवर करना जरूरी कर दिया गया है।
बीते कुछ माह से अफगानिस्तान को लेकर सभी कुछ रिपोर्ट किया जा चुका है। इनमें यहां तक कहा गया है कि तालिबान को जो करना है उसको लेकर वो जरा भी डरा हुआ नहीं है। 1990 में अपनी शुरुआत से ही वो जो सोचता है या करना चाहता है उसको करता है। एडम का मानना है कि तालिबान अपने पूर्व के रुख पर वापस जरूर आएगा। अफगानिस्तान पर कब्जे के चार माह बीत रहे हैं और तालिबान लगातार दुनिया को ये दिखा रहा है कि वो अपनी सोच से पीछे हटने वालों में से नहीं है।
इसका हाल ही में एक उदाहरण भी देखने को मिला है। हाल में तालिबान ने हजारा नेता की कुरान के साथ मूर्ति को बामियान से हटा दिया है। बता दें कि बामियान वही जगह है जहां पर तालिबान ने अपने पूर्व के शासन में भगवान बुद्ध की एक मूर्ति को टैंकों के जरिए बर्बाद कर दिया था। ये विश्व की सबसे बड़ी खड़ी बुद्ध की मूर्ति थी, जिसको पहाड़ को काटकर बनाया गया था। ये मूर्ति अब्दुल अली मजारी की थी जिसकी तालिबान ने हत्या कर दी थी। मजारी एक शिया नेता थे। तालिबान ने अफगानिस्तान पर दोबार कब्जे के बाद इस मूर्ति का वही हष्र किया जो भगवान बुद्ध की मूर्ति का किया था।