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पाकिस्तान दौरे पर तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री, OIC शिखर सम्मेलन में लेंगे भाग

ओआइसी सत्र अफगानिस्तान में लाखों लोगों को पर्याप्त भोजन दवा और आश्रय प्रदान करने के लिए समर्थन जुटाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करेगा जिन्हें अगस्त के मध्य में काबुल के पतन के बाद इसकी सख्त जरूरत है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sat, 18 Dec 2021 03:06 PM (IST)Updated: Sat, 18 Dec 2021 03:06 PM (IST)
पाकिस्तान दौरे पर तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री, OIC शिखर सम्मेलन में लेंगे भाग
ओआइसी के सदस्यों के अलावा अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ को भी सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है।

काबुल, एएनआइ। तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी शनिवार को अफगानिस्तान में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआइसी) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के लिए रवाना हो गए हैं। टोलो न्यूज के मुताबिक कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और उनके साथ का प्रतिनिधिमंडल रविवार को अफगानिस्तान पर ओआइसी की बैठक में भाग लेने के लिए काबुल से इस्लामाबाद के लिए रवाना हुआ है।

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काबुल हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए मुत्ताकी ने कहा कि किसी को भी अफगानिस्तान के क्षेत्र से किसी भी देश को धमकी देने की अनुमति नहीं दी जाएगी। तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने के लिए इस्लामाबाद ने सोमवार को इस्लामिक अमीरात को ओआइसी के शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जो 19 दिसंबर को होने वाला है। पाकिस्तान मीडिया ने बताया था कि ओआइसी के सदस्यों के अलावा अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, विश्व बैंक और मानवीय संगठनों के प्रतिनिधिमंडलों को भी सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है।

पाकिस्तानी प्रकाशन ने कहा था कि ओआइसी सत्र अफगानिस्तान में लाखों लोगों को पर्याप्त भोजन, दवा और आश्रय प्रदान करने के लिए समर्थन जुटाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिन्हें अगस्त के मध्य में काबुल के पतन के बाद इसकी सख्त जरूरत है। तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा किए 100 दिन से अधिक समय हो गया है, लेकिन इसे अभी तक दुनिया के किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है।                                               

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान सरकार को मान्यता देने के लिए महिलाओं और मानवाधिकारों का सम्मान, समावेशी सरकार की स्थापना, अफगानिस्तान को आतंकवाद का सुरक्षित ठिकाना नहीं बनने देना जैसी कुछ शर्ते निर्धारित की हैं। हालांकि तालिबान ने अब तक इनमें से किसी को भी लागू नहीं किया है, लेकिन ऐसा करने का वादा करता रहा है।


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