वैज्ञानिकों ने बनाया दुनिया का सबसे छोटा स्टेंट, मूत्र नलिका के उपचार में हो सकता है कारगर
स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे छोटा स्टेंट बनाया है। वैज्ञानिकों की मानें तो इसकी मदद से अब भ्रूण में ही यूरिन की सिकुड़ी हुई नलिकाओं का इलाज हो सकता है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। वैज्ञानिकों ने विश्व का सबसे छोटा स्टेंट बनाने में सफलता हासिल की है। यह वर्तमान में मौजूद अन्य स्टेंट्स की तुलना में अत्यंत छोटा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसकी मदद से भविष्य में भ्रूण में ही यूरिन की सिकुड़ी हुई नलिकाओं के उपचार संभव हो सकता है। स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख स्थित फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने कहा कि पिछले कुछ समय से स्टेंट का उपयोग अवरुद्ध हुई कोरोनरी वाहिकाओं (ब्लॉक कोरोनरी वेसल्स के उपचार के लिए किया जाता रहा है।
मूत्र नलिकाओं के उपचार में हो सकता है कारगर
शोधकर्ताओं के मुताबिक, यूरिन (मूत्र) की सिकुड़ी हुई नलिकाओं के उपचार में स्टेंट का उपयोग करना बहुत ज्यादा सफल नहीं हो पाता। क्योंकि कई बार स्टेंट का आकार नलिकाओं की तुलना बहुत बड़ा होता है। ऐसे में सर्जरी के जरिये सिकुड़ी हुई नलिकाओं का हटाकर उन्हें दोबारा सिल दिया जाता है। यह प्रक्रिया खर्चीली तो है ही साथ ही इसमें जोखिम भी बहुत रहता है। ऐसे में नए स्टेंट यूरिन की नलिकाओं के उपचार में कारगर सिद्ध हो सकते हैं।
हजार लोगों में मिलता है एक केस
शोधकर्ताओं ने कहा कि हजार लोगों में से एक मामला ऐसा मिलता है, जिसमें व्यक्ति के यूरिन की नलिकाएं सिकुड़ी हुई मिलती हैं। सामान्य तौर पर यह या तो गंभीर चोट लगने के कारण होता है या गर्भ में भ्रूण के विकास के दौरान यूरिन की नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि जन्म के बाद इसका पता लगाना बहुत मुश्किल है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई बार इस समस्या का समय रहते पता लग जाता है और कई बार ऐसा भी होता है कि ढलती उम्र में इसका पता लग पता है।
किडनी हो सकती है खराब
यह अध्ययन ‘एडवांस मैटेरियल टेक्नोलॉजी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया है कि यूरिन की नलिकाओं के सिकुड़ जाने से किडनी का काम प्रभावित होता है और यदि समय रहते उपचार नहीं किया गया है किडनी खराब तक हो जाती है। ऐसे में जांच के बाद यदि स्टेंट को गर्भ के भ्रूण में डाल कर उसकी यूरिन की नलिकाओं को चौड़ा कर दिया जाए तो किड़नी को खराब होने से बचाया जा सकता है।
‘इनडायरेक्ट 4डी प्रिटिंग’ से बनाया स्टेंट
इस अध्ययन के लेखक कार्मेला डे मार्को ने कहा कि पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके इतना छोटा स्टेंट को बना पाना संभव नहीं है। इसके लिए आरगाउ कैंटोनल अस्पताल के बाल रोग सर्जन गैस्टन डी बर्नार्डिस ने ज्यूरिख की मल्टी-स्केल रोबोटिक्स लैब से संपर्क किया, जिसके बाद लैब के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक नई विधि विकसित की है। इसकी मदद से उन्होंने 100 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले स्टेंट का निर्माण किया। शोधकर्ताओं ने नई विधि को ‘इनडायरेक्ट 4डी प्रिटिंग’ नाम दिया है।
परीक्षण होना बाकी
डी बर्नार्डिस ने कहा कि नया स्टेंट यूरिन की सिकुड़ी हुई नलिकाओं के उपचार के लिए उपयुक्त हो सकता है। इसे प्रभावित हिस्से में धक्का देकर डाला जाता है। जहां यह स्वयं ही फैलकर संकुचित हिस्से को चौड़ा कर सकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी इस स्टेंट का उपयोग उपचार के लिए नहीं किया जा सकता है। क्योंकि पहले इसे कई परीक्षणों के दौर से गुजरना है। बर्नार्डिस ने उम्मीद जताई है कि नया स्टेंट अपने परीक्षण में भी खरा उतरेगा और इलाज की नई राह खोलेगा।
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