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जलवायु परिवर्तन से निपटने को वैज्ञानिकों ने बनाई नई योजना, स्वास्थ्य पर घट जाएगा 91% खर्च

स्टैनफोर्ड वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नई योजना बनाई है जिसे दुनिया भर के 143 देश 2050 तक 100 फीसद स्वच्छता अक्षय ऊर्जा हासिल करने के लिए अपना सकते हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 28 Dec 2019 08:16 AM (IST)Updated: Sat, 28 Dec 2019 04:17 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन से निपटने को वैज्ञानिकों ने बनाई नई योजना, स्वास्थ्य पर घट जाएगा 91% खर्च
जलवायु परिवर्तन से निपटने को वैज्ञानिकों ने बनाई नई योजना, स्वास्थ्य पर घट जाएगा 91% खर्च

बोस्टन, पीटीआइ। New plan to Tackle Global Climate Change स्टैनफोर्ड वैज्ञानिकों ने नए उपायों की रूपरेखा तैयार की है जिसे दुनिया भर के 143 देश 2050 तक 100 फीसद स्वच्छता, अक्षय ऊर्जा हासिल करने के लिए अपना सकते हैं। यह कार्ययोजना जर्नल वन अर्थ में प्रकाशित की गई है। इन प्रतिबद्धताओं तक कैसे पहुंचा जा सकता है उसका सटीक मार्गदर्शन करने के लिए इसमें हर देश में उपलब्ध नवीनतम ऊर्जा आंकड़े का इस्तेमाल किया गया है।

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यह वैज्ञानिकों द्वारा हवा, पानी और सूर्य से दुनिया को ऊर्जा देने के लिए पहली योजना पेश किए जाने के दस साल बाद आई है। अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के मार्क जेड जैकोब्सन और उनकी टीम ने 143 देशों के स्वच्छ, अक्षय ऊर्जा के जिस संक्रमण की परिकल्पना पेश की है उससे दुनिया भर में ऊर्जा जरूरत 57 फीसद तक कम जो जाएगी। इससे दो करोड़ 86 लाख और रोजगार सृजित होंगे और ऊर्जा, स्वास्थ्य और जलवायु पर खर्च 91 फीसद कम हो जाएगा। 

वैसे जलवायु परिवर्तन के मसले पर भारत की पहलकदमियों ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं। भारत पहली बार इस साल के जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) में शीर्ष दस देशों में शामिल हुआ है। ऐसा भारत के कार्बन उत्सर्जन से उबरने के लिए किए गए भगीरथ प्रयासों के कारण हुआ है। वहीं अमेरिका सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल हुआ है। यही नहीं ऑस्ट्रेलिया और सऊदी अरब भी अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों में शामिल हुए हैं।

स्पेन की राजधानी मैड्रिड में 'कॉप 25' जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में जारी सीसीपीआइ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन और ऊर्जा इस्तेमाल का मौजूदा स्तर 'उच्च श्रेणी' में नौवें स्थान पर है। हालांकि, भारत सरकार को अभी जीवाश्म ईंधन पर दी जा रही सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए रूपरेखा बनानी होगी। इसके परिणामस्वरूप कोयले पर देश की निर्भरता कम हो जाएगी। 


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