Article 370: श्रीलंका के बौद्धगुरुओं को पसंद आया भारत का फैसला
श्रीलंका के बौद्ध धर्म गुरुओं ने भारत के जम्मू कश्मीर पर हाल ही में लिए गए फैसले काे सराहा है।
कोलंबो, एएनआइ : भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर व लद़दाख पर हाल ही में लिए गए फैसले काे श्रीलंका के दो बौद्धगुरुओं ने सही ठहराया है। इन धर्मगुरुओं जम्मू-कश्मीर व लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले का स्वागत किया। मालवत्ते संप्रदाय के सिद्धार्थ सुमंगला महानायके थेरास और असगिरिया संप्रदाय के ज्ञानरत्ने महानायके थेरा ने भारत सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे श्रीलंका और भारत के बीच धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रिश्तों में और मजबूती आएगी।
भारत सरकार ने इसी सप्ताह लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला किया है। इस निर्णय से लद्दाख देश का पहला बौद्ध बहुलता वाला क्षेत्र बन गया है। लद्दाख में बौद्ध धर्म को मानने वालों की आबादी 70 प्रतिशत के करीब है। धर्मगुरुओं ने कहा कि भारत सरकार का यह फैसला तीर्थयात्रा के लिए लद्दाख जाने वालों के लिए वरदान के समान है। यह बौद्धों की बहुलता वाले श्रीलंका के लिए भी बड़ी खुशी की बात है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी भारत सरकार के इस कदम की सराहना की है।
श्रीलंका में तीन चौथाई आबादी मानती है बौद्ध धर्म को
करीब 2.1 करोड़ की जनसंख्या वाले श्रीलंका में करीब तीन चौथाई लोग बौध धर्म को मानते हैं। यहां कुल आबादी का करीब 12.6 हिस्सा हिंदुओं का है। मुसलमानों की आबादी यहां करीब 9.7 प्रतिशत है। श्रीलंका में दो समुदाय के लोग रहते हैं, एक सिंहली और दूसरा तमिल। सिंहली समुदाय की ज्यादातर आबादी बौद्ध धर्म को मानती है और सिंहली समुदाय के लोग सबसे ज्यादा है। यहां सिंहली समुदाय को संविधान और कानूनों में ज्यादा महत्व देते हुए उन्हें प्रमुखता दी गई है।
लेह में 66.40 फीसदी आबादी बौद्ध
लद्दाख की आबादी लेह और कारगिल जिलों के बीच आधे हिस्से में विभाजित हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार है, कारगिल की कुल जनसंख्या 140,802 है। इसमें 76.87 फीसद आबादी मुस्लिम (ज्यादातर शिया) हैं। जबकि लेह की कुल जनसंख्या 133,487 है जिसमें 66.40 फीसदी बौद्ध हैं। लद्दाख की कुल जन संख्या 2,74,289 लाख है।
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