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श्रीलंकाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे संसद में बहुमत साबित करने में एक बार फिर नाकाम

श्रीलंका की संसद में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे एक बार फिर बहुमत साबित करने में नाकाम रहे हैं। संसद की कार्यवाही शुरू होते ही एक बार फिर हंगामा शुरू हो गया, जिसके बाद सदन में पुलिस बुलानी पड़ी।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 08:04 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 11:59 PM (IST)
श्रीलंकाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे संसद में बहुमत साबित करने में एक बार फिर नाकाम
श्रीलंकाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे संसद में बहुमत साबित करने में एक बार फिर नाकाम

कोलंबो, प्रेट्र/रायटर। श्रीलंका की संसद में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे एक बार फिर बहुमत साबित करने में नाकाम रहे हैं। शुक्रवार को राजपक्षे सरकार के खिलाफ संसद में दूसरा अविश्वास प्रस्ताव भी पारित हो गया। बुधवार को भी उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ था। दोबारा अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद सिरिसेन ने ट्वीट कर कहा कि वह किसी भी परिस्थिति में संसद को निलंबित नहीं करेंगे। उन्होंने सांसदों से लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक परंपराओं को बनाए रखने की अपील भी की है।

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संसद की कार्यवाही शुरू होते ही एक बार फिर हंगामा शुरू हो गया। राजपक्षे समर्थक सांसदों ने स्पीकर कारू जयसूर्या के आसन को घेर लिया। हंगामा कर रहे सांसदों ने स्पीकर के साथ विपक्षी सांसदों पर मिर्च पाउडर, पानी की बोतल और कुर्सियां फेंकी। स्पीकर तो बच गए, लेकिन दूसरे सदस्यों को चोटें आईं।

यूनाइडेट पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) के सांसद अरुदिंका फर्नांडो ने तो स्पीकर की कुर्सी पर ही कब्जा जमा लिया। जब लगभग पौन घंटे तक संसद में अराजकता की स्थिति बनी रही तो स्पीकर को संसद के भीतर पुलिस बुलानी पड़ी। राजपक्षे समर्थक सांसदों ने पुलिसवालों पर भी पुस्तकों से हमला किया जिसके बाद स्पीकर ने सोमवार तक के लिए संसद की कार्यवाही स्थगित कर दी।

हंगामे के बीच ही स्पीकर ने राजपक्षे सरकार के खिलाफ ध्वनिमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित होने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हंगामे के चलते सदन में मतदान नहीं कराया जा सका। गौरतलब है कि गुरुवार को भी संसद में जमकर हंगामा हुआ था। इस दौरान सांसदों के बीच मारपीट भी हुई थी।

ताजा घटनाक्रम के बाद अपदस्थ प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि उनके पास बहुमत है। वह अपनी सरकार बना और चला सकते हैं। ऐसे में राष्ट्रपति सिरिसेन के सामने अब विक्रमसिंघे को दोबारा प्रधानमंत्री नियुक्त करने या देश को अराजकता की स्थिति में बनाए रखने का विकल्प ही बचा है। लेकिन सियासी संकट बना रहता है तो देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचने की भी आशंका जताई जा रही है। राष्ट्रपति ने संसद को निलंबित नहीं करने की बात कही है, इससे ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि शायद वह विक्रमसिंघे को सरकार बनाने और बहुमत साबित करने का मौका दे सकते हैं।


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