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श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरिसेन बोले, विदेशी ताकतें मुझे धमका रहीं

श्रीलंका के राजनीतिक संकट के पीछे देश के बाहरी और भीतरी मूल्यों में टकराव है। यह बात श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन ने कही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 07:09 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 07:09 PM (IST)
श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरिसेन बोले, विदेशी ताकतें मुझे धमका रहीं
श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरिसेन बोले, विदेशी ताकतें मुझे धमका रहीं

कोलंबो, प्रेट्र। श्रीलंका के राजनीतिक संकट के पीछे देश के बाहरी और भीतरी मूल्यों में टकराव है। यह बात श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन ने कही है। उन्होंने कहा, विदेशी ताकतें उन्हें धमका रही हैं। इससे हालात बिगड़ रहे हैं।

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श्रीलंका में राष्ट्रपति सिरिसेन ने 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री पद से रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर उनकी जगह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नियुक्त किया था। लेकिन संसद और सुप्रीम कोर्ट ने सिरिसेन के फैसलों को पलट दिया। नतीजतन देश में राजनीतिक संकट की स्थिति पैदा हो गई।

निरंतर बिगड़ते हालात के बीच सिरिसेन ने राजपक्षे के पक्ष में बहुमत न होने की वास्तविकता को समझते हुए पहले संसद निलंबित की और इसके बाद संसद को भंग कर मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के फैसले को गैरकानूनी करार दिया और चुनाव की घोषणा को रद कर संसद बहाल कर दी।

इसके बाद संसद ने राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया। चंद रोज पहले देश की एक अदालत ने राजपक्षे के कामकाज करने पर भी रोक लगा दी। लेकिन सिरिसेन राजपक्षे को बनाए रखने के अपने फैसले पर अड़े हुए हैं। सिरिसेन के विवादित फैसलों के विरोध में आई शिकायतों पर विचार के बाद शुक्रवार को श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।

सोमवार को सिरिसेन ने कहा, जब वह राष्ट्रवादी विचारधारा के अनुसार कार्य करते हैं और विदेशी ताकतों को उसमें शामिल नहीं करते हैं, तब उन्हें विदेश से धमकियां मिलनी शुरू हो जाती हैं। विदेशी शक्तियां उनके लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। पुरानी तरह का साम्राज्यवाद अभी भी कायम है।

हालांकि सिरिसेन ने धमकाने वाले देश का नाम नहीं बताया। कहा, दुनिया के नक्शे पर श्रीलंका की जो भौगोलिक स्थिति है उसके चलते वह वैश्विक ताकतों के लिए रुचि का विषय बन गया है। यही राजनीतिक संकट की सबसे बड़ी वजह है। विदेशी सोच वालों से देसी मूल्यों का टकराव भी एक बड़ी वजह है। सिरिसेन ने देश हित को सबसे ऊपर बताया। कहा, देशहित को वह किसी व्यक्ति, जन समूह या पार्टी के हित से ऊपर मानते हैं।


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