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श्रीलंकाई तमिलों ने UNHRC के 47 सदस्य देशों को लिखा पत्र, स्वतंत्र जांच तंत्र बनाने की अपील

यूएनएचआरसी के 47 सदस्य देशों के मिशनों को 15 जनवरी को लिखे गए इस पत्र में आग्रह किया गया है कि सीरिया मामले की तर्ज पर ही नियत एक साल की समय सीमा में साक्ष्य जुटाने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाए।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 01:02 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 01:02 PM (IST)
श्रीलंकाई तमिलों ने UNHRC के 47 सदस्य देशों को लिखा पत्र, स्वतंत्र जांच तंत्र बनाने की अपील
युद्ध अपराधों की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग।

कोलंबो. प्रेट्र। श्रीलंका में अल्पसंख्यक तमिल राजनीतिक पार्टियों तथा सिविल सोसायटी ग्रुपों ने देश में करीब तीन दशकों के गृह युद्ध के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन की जवाबदेही सुनिश्चित करने को एक स्वतंत्र जांच तंत्र बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) को पत्र लिखा है। यूएनएचआरसी के 47 सदस्य देशों के मिशनों को 15 जनवरी को लिखे गए इस पत्र में आग्रह किया गया है कि सीरिया मामले की तर्ज पर ही नियत एक साल की समय सीमा में साक्ष्य जुटाने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाए।

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उन्होंने श्रीलंका की जवाबदेही पर एक नए प्रस्ताव का भी आग्रह किया है। श्रीलंका ने 2013 के बाद से लगातार तीन यूएनएचआरसी प्रस्तावों का सामना किया है, जिनमें 2009 में गृह युद्ध के अंतिम चरण के दौरान सरकारी सैनिकों और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे)- दोनों द्वारा कथित युद्ध अपराधों की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए कहा गया था।

पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि 2009 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव बान की मून ने श्रीलंका के युद्ध क्षेत्रों के अपने दौरे के बाद कहा था कि श्रीलंकाई सरकार मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन की जांच करने के लिए सहमत हुई है।

समूहों ने कहा कि श्रीलंका की प्रतिबद्धताओं के मूल्यांकन के लिए यूएनएचआरसी की बैठक अगले महीने और मार्च में होने वाली है। उन्होंने श्रीलंका को विफल बताते हुए इस मामले में एक नया प्रस्ताव लाने की आपील की है। साथ ही कहा है कि नए प्रस्ताव में इस बात का उल्लेख किया जाना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मामले को उठाए और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के जरिये उचित कार्रवाई करे तथा श्रीलंका के कथित मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच के लिए एक प्रभावी अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही तंत्र बनाए।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार महिंदा राजपक्षे के शासनकाल के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा 40,000 नागरिकों को मार दिया गया था। 2009 में लिट्टे की हार के साथ श्रीलंका में लगभग तीन दशक का गृहयुद्ध समाप्त हुआ था। सरकारी सेना और तमिल टाइगर विद्रोहियों दोनों पर युद्ध अपराधों के आरोप हैं।


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