श्रीलंका के संसदीय चुनाव में राजपक्षे की पार्टी को मिला दो-तिहाई बहुमत, 225 में जीती 150 सीटें
श्रीलंका के प्रभावशाली राजपक्षे परिवार (Mahinda Rajapaksa Family) की श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) ने संसदीय चुनाव में दो तिहाई बहुमत हासिल किया है।
कोलंबो, पीटीआइ। श्रीलंका के प्रभावशाली राजपक्षे परिवार की श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) ने संसदीय चुनाव में दो तिहाई बहुमत हासिल किया है। 225 सदस्यीय संसद में एसएलपीपी और उसके सहयोगियों ने 150 सीटों पर जीत दर्ज की है। इन चुनाव नतीजों के बाद महिंदा राजपक्षे का एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। उनके भाई गोतबाया राजपक्षे पहले ही देश के राष्ट्रपति हैं। दो-तिहाई बहुमत मिलने से राजपक्षे बंधु कुछ महत्वपूर्ण संवैधानिक बदलाव करने में सक्षम होंगे।
68 लाख वोट मिले
प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व वाली पार्टी को 22 इलेक्टोरल डिस्ट्रिक में से 18 में जीत हासिल हुई। उसे कुल पड़े वोटों में से 68 लाख वोट (59.9 फीसद) मिले। पार्टी प्रत्याशियों का सिंहली बहुल इलाकों में जीत का अंतर 60 फीसद तक रहा। 74 वर्षीय प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने ट्वीट करते हुए श्रीलंका के लोगों को धन्यवाद दिया और कहा कि वे अपने कार्यकाल के दौरान देश के नागरिकों को निराश नहीं होने देंगे। इस चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान रनिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) को हुआ है।
विक्रमसिंघे की पार्टी ने जीती मात्र एक सीट
रनिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी को मात्र एक सीट पर ही जीत हासिल हुई है। यह एक सीट भी राष्ट्रीय स्तर पर पड़े वोटों के आधार पर उसे मिली है। यूएनपी को मात्र दो फीसद मत मिले और वह पांचवें नंबर पर रही। उधर, विक्रमसिंघे के पूर्व डिप्टी और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सजिथ प्रेमदासा ने अपनी अलग पार्टी एसजेबी बनाई थी। उनकी पार्टी ने 23 फीसद वोटों के साथ 55 सीटों पर जीत हासिल की। एसजेबी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। मुख्य तमिल पार्टी टीएनए बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी है। उसने पिछले चुनावों में 16 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार उसे मात्र 10 सीटों पर ही जीत मिली।
पीएम मोदी ने फोन करके दी बधाई
महिंदा को बधाई देने वाले पीएम मोदी शुरुआती विदेशी नेताओं में से एक रहे। पीएम मोदी ने महिंदा राजपक्षे से फोन पर बात की, जिस पर महिंदा ने ट्वीट कर लिखा कि फोन पर बधाई देने के लिए शुक्रिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। श्रीलंका के सभी लोग भारत के साथ मिलकर काम करने को तत्पर हैं। भारत और श्रीलंका सिर्फ अच्छे दोस्त ही नहीं बल्कि रिश्तेदार भी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर उन्हें जवाब दिया कि भारत और श्रीलंका के हितों को ध्यान में रखते हुए हम सभी आपके साथ मिलकर काम करेंगे।
छह महीने पहले ही भंग कर दी थी संसद
राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने कार्यकाल शेष रहने से छह महीने पहले यानी दो मार्च को संसद को भंग कर दिया था और 25 अप्रैल को चुनाव कराने की घोषणा की थी। हालांकि अप्रैल के मध्य में चुनाव आयोग ने कोरोना के प्रकोप के चलते चुनावों को लगभग दो महीने यानी 20 जून तक स्थगित कर दिया था। जून में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि महामारी के चलते 20 जून को चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं और सभी पक्षों से सलाह के बाद नई तारीखों का एलान किया जाएगा। अंतत: पांच अगस्त को मतदान हुआ। महामारी को देखते हुए मतदान का समय एक घंटे बढ़ा दिया गया था।
दो दशक से एकछत्र राज चला रहे दोनों भाई
महिंदा राजपक्षे और गोतबया राजपक्षे श्रीलंका की राजनीति में करीब दो दशक से सक्रिय हैं और एकछत्र राज चला रहे हैं। दोनों भाइयों को 2009 में एलटीटीई को देश से खत्म करने के लिए जाना जाता है। चरमपंथी संगठन एलटीटीई अल्पसंख्यक तमिलों के लिए अलग राज्य के लिए लड़ाई लड़ रहा था। इससे पहले महिंदा करीब एक दशक तक देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं, जब पार्टी में विरोध के चलते वे हटे तो उनके भाई गोतबया राष्ट्रपति बन गए। कुछ वक्त बाद ही उन्होंने महिंदा को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया, अब एक बार फिर चुनावी जीत हासिल कर महिंदा ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।