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श्रीलंका: महिंदा राजपक्षे ने चौथी बार ली प्रधानमंत्री पद की शपथ, बौद्ध मंदिर में हुआ शपथ ग्रहण

संसदीय चुनाव में दमदार प्रदर्शन की बदौलत महिंदा राजपक्षे ने रविवार को चौथी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 07:41 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 11:35 AM (IST)
श्रीलंका: महिंदा राजपक्षे ने चौथी बार ली प्रधानमंत्री पद की शपथ, बौद्ध मंदिर में हुआ शपथ ग्रहण
श्रीलंका: महिंदा राजपक्षे ने चौथी बार ली प्रधानमंत्री पद की शपथ, बौद्ध मंदिर में हुआ शपथ ग्रहण

कोलंबो, प्रेट्र। श्रीलंका के संसदीय चुनाव में दमदार प्रदर्शन की बदौलत महिंदा राजपक्षे ने रविवार को चौथी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को कोलंबो के ऐतिहासिक बौद्ध मंदिर राजमहा विहाराय में देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। जानकारी के मुताबिक मंत्रियों की शपथ सोमवार को होगी। मंत्रिमंडल में अधिकतम 30 सदस्य हो सकते हैं।

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महिंदा राजपक्षे ने इस साल जुलाई में 50 साल की संसदीय राजनीति पूरी की है। उन्हें 1970 में 24 साल की उम्र में संसद के सदस्य के रूप में चुना गया था। वह तब से दो बार राष्ट्रपति चुने गए और उन्हें तीन बार प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। महिंदा राजपक्षे ने इससे पहले 2005 से 2015 तक लगभग एक दशक तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।

श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलीपी) के नेता महिंदा राजपक्षे (74) को इस बार के चुनाव में अपनी सीट पर पांच लाख से ज्यादा प्रथम वरीयता वाले वोट मिले हैं। वोटों की यह संख्या श्रीलंका के चुनावों में एक रिकॉर्ड है। श्रीलंका में इस बार 225 सदस्यों वाली नौवीं संसद का गठन होगा। महिंदा के नेतृत्व में उनकी पार्टी वाले गठबंधन ने हाल के चुनाव में दो तिहाई सीटें पाई हैं। एसएलपीपी को 145 सीटें मिली हैं जबकि उसके सहयोगी दलों को पांच।

एसएलपीपी की टिकट पर जीतने वालों में महिंदा के बेटे नमल राजपक्षे (34) भी शामिल हैं। संसद में दो तिहाई बहुमत के चलते महिंदा सत्ता पर अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए आसानी से किसी भी कानून में संशोधन करा सकते हैं। शनिवार को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने अपने बड़े भाई महिंदा को चुनाव जीतने पर ट्वीट कर बधाई दी।

चुनाव परिणाम से सबसे ज्यादा झटका पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) को लगा। नाइटेड नेशनल पार्टी केवल एक सीट जीतने में सफल रही। देश की सबसे पुरानी पार्टी 22 में से किसी भी जिले से एक भी सीट जीतने में नाकाम रही।यूएनपी नेता और चार बार के प्रधानमंत्री रहे विक्रमसिंघे को 1977 में पहली बार संसद में कदम रखने के बाद यह पहला मौका है जब उनको हार का सामना करना पड़ा है।


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