श्रीलंका में सांप्रदायिक हिंसा, 10 दिन के लिए देश में इमरजेंसी, कड़ी सुरक्षा में टीम इंडिया
श्रीलंका की कुल जनसंख्या का 10 फीसद यानि 21 मिलियन मुस्लिम हैं, जबकि 75 प्रतिशत आबादी बौद्धों की है। वहीं 13 प्रतिशत श्रीलंका में हिंदू रहते हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। श्रीलंका के पर्यटक जिले कैंडी में बहुसंख्यक सिंहली बौद्धों और अल्पसंख्यक मुस्लिमों के बीच सांप्रदायिक हिंसा के बाद मंगलवार को देश में दस दिन के लिए आपातकाल लगा दिया गया। हिंसा में दो लोगों के मारे जाने और कई मस्जिदों और घरों को नुकसान पहुंचाए जाने की खबर है। हिंसा के बाद कैंडी में कफ्र्यू लगा दिया गया है। खबरों के मुताबिक, एक कैबिनेट नोट के बाद इमरजेंसी लगाने की घोषणा की गई है। चिंता का विषय यह है कि इस समय भारतीय क्रिकेट त्रिकोणीय सीरिय खेलने के लिए श्रीलंका में ही है। हालांकि बताया जा रहा है कि खिलाड़ियों की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है।
खबरों के मुताबिक, सरकार के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि श्रीलंका सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने वाले लोगों के खिलाफ 'कठोर कार्रवाई' करने के लिए एक देशव्यापी आपातकाल की स्थिति लागू की है। हालात बिगड़ने के बाद सोमवार को सेंट्रल कैंडी में कर्फ्यू लगाया गया था। श्रीलंकाई मीडिया के अनुसार, पिछले हफ्ते भीड़ के हाथों एक सिंहली की मौत के बाद कैंडी के थेलदेनिया इलाके में सोमवार को हिंसा भड़की। सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए कैंडी में सशस्त्र सैनिकों और पुलिस कमांडो को तैनात कर दिया है। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सामाजिक सशक्तीकरण मंत्री एसबी दिसानायके ने पत्रकारों को बताया कि देश के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़कने के बाद राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने दस दिन के लिए आपातकाल घोषित करने का निर्णय लिया है।
इस बीच बौद्ध समुदाय के लोगों ने श्रीलंका के कैंडी स्थित पुलिस स्टेशन के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि दंगों के दौरान गिरफ्तार किए गए, बौद्धों को आजाद किया जाए।
पुलिस ने बताया कि सोमवार को कैंडी जिले में सप्ताहांत के बाद दंगे और आगजनी की घटनाएं हुई थीं। वहीं अल जजीरा के सूत्रों के मुताबिक, हिंसा पूरे दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र में फैल रही है। हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब श्रीलंका में सांप्रदायिक हिंसा हुई है। इससे पहले भी यहां बौद्धों और मुस्लिमों के बीच हिंसक झड़पे होती रही हैं। श्रीलंका की कुल जनसंख्या का 10 फीसद यानि 21 मिलियन मुस्लिम हैं, जबकि 75 प्रतिशत आबादी बौद्धों की है। वहीं 13 प्रतिशत श्रीलंका में हिंदू रहते हैं।
फरवरी 2018 में बौद्ध और मुस्लिम समुदायों के बीच संघर्ष के दौरान पांच लोग घायल हो गए थे और कई दुकान और एक मस्जिद क्षतिग्रस्त हो गई थी। जून 2014 में, घातक अल्थगमा दंगे के बाद एक मुस्लिम विरोधी अभियान शुरू किया गया था। यहां कुछ कट्टर बौद्ध समूहों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय के लोग बौद्धों पर इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए दबाव बनाते हैं। बौद्ध पुरातात्विक स्थलों को बर्बाद करने का आरोप भी मुस्लिम समुदाय के लोगों पर लगता रहा है। ज्ञात हो कि श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने 2015 में सत्ता संभालने के बाद मुस्लिम विरोधी अपराधों की जांच करने का वादा किया था।
मुस्लिम समुदाय ने दावा किया है कि हमलों में अल्पसंख्यक समुदाय की दस मस्जिदों, 75 दुकानों और 32 घरों को नुकसान पहुंचा है। पुलिस को दोनों समुदायों के बीच झड़पें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। मंगलवार को जली इमारत से एक मुस्लिम का शव मिलने से इलाके में तनाव फिर बढ़ गया है। इसे देखते हुए कफ्र्यू की अवधि बढ़ा दी गई है। 2011 के बाद पहली बार आपातकालचारों ओर से हिंद महासागर से घिरे इस देश में अगस्त, 2011 के बाद पहली बार आपातकाल की घोषणा की गई है। वैसे श्रीलंका में आपातकाल का लंबा इतिहास रहा है। लिट्टे के दौर में देश में कई बार आपातकाल की घोषणा की गई थी।
कोलंबो में टीम इंडिया
भारतीय क्रिकेट टीम इस समय श्रीलंका में त्रिकोणीय श्रृंखला खेलने के लिए गई। आपातकाल की खबर आने के बाद बीसीसीआइ की ओर से जारी बयान में कहा गया कि श्रीलंका में आपातकाल लगने की खबरें आ रही हैं। हालात कैंडी में खराब हैं, कोलंबो में नहीं। संबंधित अधिकारियों से बात करने के बाद हमें पता चला कि कोलंबो में हालात पूरी तरह से सामान्य हैं। वहीं बीसीसीआइ के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने पत्रकारों से श्रीलंका में इमरजेंसी के मुद्दे पर कहा कि हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। हमने श्रीलंका की सरकार के साथ भी संपर्क बना रखा है। यह त्रिकोणीय क्रिकेट श्रृंखला उनके लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। हमारा मनाना है कि श्रृंखला के सभी मैच अपने तय समय पर खेले जाएंगे।