Move to Jagran APP

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में 9 नेताओं को मिली रानिल विक्रमसिंघे की कैबिनेट में जगह, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

Sri Lanka Crisis द्वीपीय देश में पूर्ण मंत्रिमंडल के गठन से पहले राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयास तेज हो गए हैं। शुक्रवार को नौ नए कैबिनेट मंत्रियों की नियुक्ति की गई है। वहीं कैबिनेट में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत 25 सदस्य हो सकते हैं।

By Mahen KhannaEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 12:02 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 01:10 PM (IST)
Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में 9 नेताओं को मिली रानिल विक्रमसिंघे की कैबिनेट में जगह, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ
श्रीलंका में नौ नए कैबिनेट मंत्रियों की नियुक्ति की गई। (फाइल फोटो)

कोलंबो, पीटीआइ। आर्थिक संकट और कर्ज में डूबे श्रीलंका में अब राजनीतिक अस्थिरता धीरे-धीरे दूर हो रही है। द्वीपीय देश में पूर्ण मंत्रिमंडल के गठन तक स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयास में शुक्रवार को नौ नए कैबिनेट मंत्रियों की नियुक्ति की गई है। मंत्रियों को आज राष्टपति ने शपथ दिलाई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कैबिनेट में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत 25 सदस्य होंगे।

loksabha election banner

मंत्रालयों का भी हुआ बटवारा

बता दें कि नई कैबिनेट मंत्रियों के शपथ के बाद मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है। निमल सिरिपाला डी सिल्वा पोर्ट्स को नौसेना और उड्डयन सेवा मंत्री, सुशील प्रेमजयंता को शिक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है, जबकि केहेलिया रामबुकवेला ने स्वास्थ्य मंत्री के रूप में शपथ ली और विजयदास राजपक्षे ने न्याय, जेल मामलों, संवैधानिक सुधार के मंत्री के रूप में शपथ ली है। नियुक्त किए गए अन्य मंत्रियों में पर्यटन और भूमि मंत्री के रूप में हरिन फर्नांडो, वृक्षारोपण उद्योग मंत्री के रूप में रमेश पथिराना, श्रम और विदेश रोजगार मंत्री के रूप में मनुशा नानायकारा, व्यापार, वाणिज्य और खाद्य सुरक्षा मंत्री के रूप में नलिन फर्नांडो और सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री के रूप में तिरान एलेस शामिल हैं।

राष्ट्रपति कार्यालय के अधिकारियों ने कहा कि अगले सप्ताह तक और मंत्रियों को नए मंत्रिमंडल में शपथ दिलाई जानी है।

जनता से झूठ बोलने की कोई इच्छा नहीं- प्रधानमंत्री रानिल

सोमवार को नवनियुक्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि अगले कुछ महीने सभी नागरिकों के जीवन में सबसे कठिन होंगे और देश को कुछ बलिदान करने और इस अवधि की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्हें सच छिपाने और जनता से झूठ बोलने की कोई इच्छा नहीं है। हालांकि ये तथ्य अप्रिय और भयानक हैं, और यही हकीकत है।

श्रीलंका 1948 के बाद अपने सबसे खराब स्तिथि में 

1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है संकट आंशिक रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण होता है, जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर सकता है, जिससे तीव्र कमी और बहुत अधिक कीमतें होती हैं।श्रीलंका में चल रही राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के बीच हफ्तों तक सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके कारण भोजन और दवाओं सहित आवश्यक आपूर्ति में कमी आई है।

कई लोग हुए मौत के शिकार

जरूरी चीजों के लिए लंबी कतारों में खड़े होने के कारण थकावट के कारण कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है। 9 मई को संघर्ष में दस और लोगों की मौत हो गई, जब सरकार समर्थक समूह ने संकट से निपटने के लिए राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को तोड़ने का प्रयास किया।

भारत ने श्रीलंका के खराब हालात में दिया साथ

जनवरी के बाद से भारत के आर्थिक सहायता पैकेज ने 1948 में स्वतंत्रता के बाद से श्रीलंका को उसके सबसे खराब आर्थिक संकट में बचाए रखा था। भारत ने ईंधन और आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए क्रेडिट लाइन प्रदान की क्योंकि श्रीलंका का विदेशी भंडार समाप्त हो गया था। नई दिल्ली ने इस साल जनवरी से कर्ज में डूबे श्रीलंका को ऋण, क्रेडिट लाइन और क्रेडिट स्वैप में 3 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की प्रतिबद्धता दी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.