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Sri Lanka blasts: स्तब्ध श्रीलंकाई नागरिकों का एक ही सवाल 'कहां है भगवान'?

चर्च में प्रार्थना करने जुटे लोगों की दर्दनाक चीखों को सुनकर हर मन में बस यही सवाल कौंध रहा है कहां है भगवान?

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 07:38 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 08:31 PM (IST)
Sri Lanka blasts: स्तब्ध श्रीलंकाई नागरिकों का एक ही सवाल 'कहां है भगवान'?
Sri Lanka blasts: स्तब्ध श्रीलंकाई नागरिकों का एक ही सवाल 'कहां है भगवान'?

कोलंबो, एएफपी । श्रीलंका में ईसाइयों के पर्व ईस्टर के मौके पर तीन चर्च और तीन होटलों को निशाना बनाकर हुए भीषण आतंकी हमले से वहां का हर नागरिक स्तब्ध है। चर्च में प्रार्थना करने जुटे लोगों की दर्दनाक चीखों को सुनकर हर मन में बस यही सवाल कौंध रहा है, कहां है भगवान? घायलों की मदद में लगे लोगों का कहना है कि घटना ने गृहयुद्ध के दिनों के दर्द को हरा कर दिया है। 

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तीन बच्चों के पिता चर्चिल करुणारत्ने ने कहा, 'मैं धमाकों के बाद घटनास्थल पर पहुंचा और मैंने हर जगह लाशें ही लाशें देखीं। मेरे बच्चों ने भी टीवी पर ये तस्वीरें देखीं और अब वे चर्च जाने से बहुत डर रहे हैं। वे मुझसे कई सवाल करते हैं और पूछते हैं कि भगवान कहां है?' वहीं, धमाकों के बाद घायल बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंचे शांता प्रसाद के मन में देश के भीषण गृहयुद्ध की यादें ताजा हो गई।

उन्होंने कहा, 'घायलों के कपड़े फटे हुए थे और वे खून से लथपथ थे। इस तरह की हिंसा देखना बहुत असहनीय है।' श्रीलंका में तीन दशक तक चले गृहयुद्ध में करीब एक लाख लोगों की मौत हो गई थी। उस दौर में आए दिन बम हमले हुआ करते थे। डर के मारे नागरिक सार्वजनिक परिवहन और सड़कों से भी दूर रहने लगे थे। 2009 में तमिल विद्रोहियों के संगठन लिट्टे के खात्मे के बाद हिंसा का यह दौर थमा था। रविवार को हुए हमले ने लोगों के मन में फिर डर भर दिया है।

कोलंबो में सड़क सफाईकर्मी मलाथी विक्रमा ने कहा, 'अब हमें कचरे से भरे प्लास्टिक के काले बैग तक को छूने में डर लग रहा है। सिलसिलेवार धमाकों ने हमारे मन में उस डर को ताजा कर दिया है जब हम पार्सल बम के डर से बसों या ट्रेनों में जाने से कतराते थे।' हमलों के बाद श्रीलंका में स्कूल, कॉलेज और स्टॉक एक्सचेंज बंद हैं। हालांकि कुछ दुकानें खुली हैं और सड़कों पर सार्वजनिक परिवहन जारी है।

चर्च जाने में लग रहा डर

धमाकों के बाद से श्रीलंका में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के लोगों को चर्च मेंे जाने में डर लग रहा है। फादर लॉर फर्नाडो ने कहा, 'कुछ लोगों को अब चर्च आने से डर लग रहा होगा। इस वक्त मैं कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं।'

नेगोंबो के टैक्सी चालक रंजन क्रिस्टोफर फर्नार्ड ने का कहना है कि हमले के बाद से वह चर्च जाने को लेकर आशंकित है। हालांकि फर्नार्ड ने कहा कि लोगों को मजबूत बने रहने की जरूरत है। हमले में फर्नार्ड के दोस्त के 11 वर्षीय बेटे की मौत हो गई। श्रीलंका की 2.1 करोड़ की आबादी में सात फीसद ईसाई हैं।

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