श्रीलंका में पशु वध पर रोक लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी, जानिए-क्या है वजह
2012 की जनगणना के अनुसार दो करोड़ से ज्यादा आबादी वाले श्रीलंका में 70.10 फीसद बौद्ध 12.58 फीसद हिंदू 9.66 फीसद मुस्लिम और 7.62 फीसद ईसाई हैं। देश में बहुसंख्यक बौद्धों के साथ ही हिंदू भी बीफ का सेवन नहीं करते हैं।
कोलंबो, प्रेट्र। श्रीलंका की सरकार ने पशु वध पर रोक लगाने के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है। हालांकि, इस द्वीपीय देश में उन लोगों के लिए बीफ आयात करने का निर्णय लिया गया है, जो इसका सेवन करते हैं। कैबिनेट ने सोमवार को देश में पशु वध पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी। कैबिनेट प्रवक्ता केहलिया रामबुकवेला ने मंगलवार को बताया कि इस प्रस्ताव को कानून का रूप देने की प्रक्रिया जल्द पूरी कर दी जाएगी।
प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पशु वध पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे गत आठ सितंबर को सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों के एक समूह ने पारित किया था। अधिकारियों के अनुसार, कैबिनेट ने बीफ आयात करने और खाने वाले लोगों के लिए यह रियायती दर पर मुहैया कराने का भी निर्णय लिया है। 2012 की जनगणना के अनुसार, दो करोड़ से ज्यादा आबादी वाले श्रीलंका में 70.10 फीसद बौद्ध, 12.58 फीसद हिंदू, 9.66 फीसद मुस्लिम और 7.62 फीसद ईसाई हैं। देश में बहुसंख्यक बौद्धों के साथ ही हिंदू भी बीफ का सेवन नहीं करते हैं।
बौद्धों की बहुलता के कारण श्रीलंका में काफी बार पशु वध के बैन की मांग उठती रही है। आखिरकार अब सरकार ने इस मांग को स्वीकार कर इसे अमली जामा भी पहना दिया है। ऐसे में भारत से श्रीलंका में बीफ का निर्यात बढ़ सकती है।