ओमिक्रोन से पीडि़त लोगों में मर्ज के बहुत हल्के लक्षण, दक्षिण अफ्रीका की चर्चित डाक्टर कोएत्जी का दावा
कोरोना मरीजों में नए प्रकार के स्ट्रेन के बारे में सबसे पहले शक जताने वाले दक्षिण अफ्रीका की डाक्टर ने रविवार को कहा कि ओमिक्रोन की चपेट में आए मरीजों में अब तक रोग के बहुत हल्के लक्षण पाए गए हैं।
जोहानिसबर्ग (रायटर)। कोरोना मरीजों में नए प्रकार के स्ट्रेन के बारे में सबसे पहले शक जताने वाले दक्षिण अफ्रीका की डाक्टर ने रविवार को कहा कि ओमिक्रोन की चपेट में आए मरीजों में अब तक रोग के बहुत हल्के लक्षण पाए गए हैं। इनका घर में रहकर उपचार हो सकता है। द. अफ्रीका मेडिकल एसोसिएशन की प्रमुख और निजी चिकित्सक डा. एंजेलिक कोएत्जी ने बताया कि उन्होंने 18 नवंबर को पहली बार अपनी क्लीनिक पर सात ऐसे मरीज देखे जो डेल्टा से इतर किसी नए स्ट्रेन से ग्रसित समझ में आए। इन मरीजों में रोग के लक्षण बहुत हल्के थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना के इस नए वैरिएंट को ओमिक्रोन का नाम दिया गया है। द. अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ कम्युनिकेबल डिजीज (एनआइसीडी) ने एक लैब से 14 नवंबर से 16 नवंबर तक लिए गए नमूनों के आधार पर 25 नवंबर को इसकी घोषणा की।
डा. कोएत्जी ने कहा कि 18 नवंबर को एक मरीज ने उनके क्लीनिक में शरीर में दर्द और सिरदर्द के साथ दो दिन तक बेहद थका हुआ होने की सूचना दी। उस समय तक मरीज में सामान्य वायरल संक्रमण जैसे लक्षण थे। चूंकि हमने पिछले आठ से 10 सप्ताह से कोरोना के मरीज नहीं देखे हैं, इसलिए हमने परीक्षण करने का फैसला किया।
परीक्षण में रोगी और उसका परिवार संक्रमित निकला। उसी दिन, इसी तरह के लक्षणों वाले कई मरीज एक साथ आए। तब अहसास हुआ कि कुछ गड़बड़ है। उसके बाद से वे हर दिन इस तरह के दो से तीन मरीज देख रही हैं।
ज्यादातर मरीजों में बहुत हल्के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। उनमें से किसी को भी अब तक भर्ती नहीं किया गया है। हम घर पर इन रोगियों का इलाज पारंपरिक तरीके से करने में सक्षम हैं। कोएत्जी, जो टीकों पर मंत्री स्तरीय
सलाहकार समिति में भी हैं, ने कहा कि डेल्टा के विपरीत अब तक रोगियों ने गंध या स्वाद की अनुभूति न होने की सूचना नहीं दी है। नए संस्करण के साथ आक्सीजन के स्तर में कोई बड़ी गिरावट नहीं आई है। उनका अब तक का अनुभव यह रहा है कि नया वैरिएंट 40 या उससे कम उम्र के लोगों को प्रभावित कर रहा है। ओमिक्रोन के लक्षणों वाले लगभग आधे रोगियों का टीकाकरण नहीं किया गया था।