Move to Jagran APP

विक्रमसिंघे की सिफारिश वाले नेता सिरिसेन ने मंत्री नहीं बनाए

श्रीलंका में राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन ने कैबिनेट का गठन कर दिया, लेकिन पीएम विक्रमसिंघे की सिफारिश वाले कुछ नेताओं को मंत्री बनाने से इन्कार कर दिया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 11:15 PM (IST)Updated: Thu, 20 Dec 2018 11:50 PM (IST)
विक्रमसिंघे की सिफारिश वाले नेता सिरिसेन ने मंत्री नहीं बनाए
विक्रमसिंघे की सिफारिश वाले नेता सिरिसेन ने मंत्री नहीं बनाए

कोलंबो, प्रेट्र। श्रीलंका में राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन ने 30 सदस्यों वाली कैबिनेट का गठन कर दिया लेकिन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की सिफारिश वाले कुछ नेताओं को मंत्री बनाने से इन्कार कर दिया। सिरिसेन ने सुरक्षा बलों और पुलिस से संबंधित विभाग अपने पास रखे हैं।

loksabha election banner

संकेत साफ हैं कि श्रीलंका में राजनीतिक संकट फिलहाल भले ही खत्म हो गया हो लेकिन पर्दे के पीछे की जोर-आजमाइश जारी है। इस बीच अमेरिका ने शांतिपूर्ण ढंग से जनता की पसंद वाली सरकार के पुनर्गठन पर संतोष जताया है।

प्रधानमंत्री पद पर विक्रमसिंघे ने 16 दिसंबर को शपथ ली थी लेकिन कैबिनेट के गठन में अप्रत्याशित रूप से चार दिन लग गए। दो महीने से बाधित सरकारी गतिविधियों के लिहाज से यह समय काफी था। बताया जाता है कि कुछ नेताओं को मंत्री बनाने के राष्ट्रपति सिरिसेन के तैयार न होने की वजह से कैबिनेट गठन में यह विलंब हुआ।

सिरिसेन अपनी पार्टी श्रीलंका फ्रीडम पार्टी छोड़कर विक्रमसिंघे के साथ गए तीन वरिष्ठ नेताओं को मंत्री बनाने के लिए तैयार नहीं थे। ये तीनों नेता राजनीतिक संकट के दौरान सिरिसेन का साथ छोड़कर विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी में चले गए थे। राष्ट्रपति ने कानून मंत्री की भी नियुक्ति नहीं की है।

यह विभाग भ्रष्टाचार मामलों की जांच के लिए जिम्मेदार है। पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का संचालन यही विभाग कर रहा है।

सिरिसेन ने रक्षा और महावेली विकास और पर्यावरण मंत्रालय अपने पास रखा है। इसके चलते उनका पुलिस विभाग पर भी नियंत्रण रहेगा, जो उनकी हत्या की साजिश की जांच कर रही है। इस साजिश की आशंका के चलते ही सिरिसेन और विक्रमसिंघे के बीच मतभेदों की खाई चौड़ी हुई थी, जिसके चलते 26 अक्टूबर को विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि संसद और सुप्रीम कोर्ट के दबाव के चलते सिरिसेन ने 51 दिन बाद विक्रमसिंघे को पुन: प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.