सात साल की बच्ची ने 'लैंगिक भेदभाव' के शब्द पर जताई आपत्ति, सरकार ने मानी गलती
जोए को जब इस सवाल का जवाब अपने पिता और दादा से नहीं मिला, तो उसने न्यूजीलैंड ट्रांसपोर्ट एजेंसी के मुख्य कार्यकारी फर्गुस जैमी को पत्र लिखा।
सिडनी, एजेंसी। बच्चे मन के सच्चे होते हैं। कभी-कभी उनके सच्चे मन में ऐसे सवाल उठते हैं, जिनका जवाब बड़ों के पास भी नहीं होता है। ऐसा ही एक सवाल न्यूजीलैंड की सात साल की बच्ची ने अपने दादा और पिता से किया। लेकिन इसका जवाब इन दोनों के पास नहीं था। यहां तक की इस सवाल का जवाब न्यूजीलैंड की सरकार के पास भी नहीं था। न्यूजीलैंड की सरकार को सात की बच्ची के सवाल पर अपनी गलती का अहसास हुआ, जिसे अब सुधार लिया गया है।
दरअसल, न्यूजीलैंड में एक सात साल की बच्ची जोए कोरे अपने पिता और दादा के साथ कार से जा रही थी। तभी उसकी नजर सड़क पर लगे इलेक्ट्रिक पावर लाइन वाले इलाके में लगे बोर्ड पर गई। इस साइन बोर्ड पर लिखा था- 'लाइनमैन'। उसने अपने पिता और दादा से सवाल पूछा कि महिलाएं भी तो लाइन वर्कर्स होती हैं तो यहां लाइनमैन क्यों लिखा हुआ है?
जोए को जब इस सवाल का जवाब अपने पिता और दादा से नहीं मिला, तो उसने न्यूजीलैंड ट्रांसपोर्ट एजेंसी के मुख्य कार्यकारी फर्गुस जैमी को पत्र लिखा। पत्र में उसने लिखा कि महिलाएं भी तो लाइन वर्कर्स होती हैं। तो सड़क पर लगे साइन बोर्ड पर लाइनमैन शब्द का प्रयोग क्यों होता है। क्या आप सहमत हैं? उसने लिखा कि मुझे ये शब्द भेदभावपूर्ण लगता है। मैं बड़ी होकर लाइन वर्कर्र तो नहीं बनना चाहती, क्योंकि मुझे उसके अलावा भी बहुत से काम पसंद हैं। लेकिन बहुत-सी ऐसी बच्चियां भी हैं जो बड़े होकर लाइन वर्कर्स बनना चाहती हैं। लेकिन लाइनमैन शब्द से ऐसा लगता है कि यह काम सिर्फ पुरुषों के लिए है, जबकि ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं है।
न्यूजीलैंड की सरकार को इस बच्ची का पत्र मिलने के बाद अपनी गलती का अहसास हुआ और इस साइन बोर्ड को हटा दिया गया है। अब बोर्ड पर लाइनमैन की जगह 'लाइन क्रू' लिखा गया है। प्रशासन का कहना है कि अब सभी साइन बोर्ड पर लाइन क्रू ही लिखा जाएगा। अगर हर शख्स जोए की तरह सोचे, तो एक दिन महिलाओं को भी विश्व में बराबरी का दर्जा एक दिन जरूर मिल जाएगा।