Move to Jagran APP

नई खोज की डगर: लैब में बने कृत्रिम थ्री डी कॉर्निया से मिल सकती है आंखों की रोशनी

कॉर्निया आंख में एक पतली बाहरी परत है जो पुतली को ढकती है और यह बाहरी वातावरण से आंख की रक्षा करती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 30 May 2019 11:05 AM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 11:05 AM (IST)
नई खोज की डगर: लैब में बने कृत्रिम थ्री डी कॉर्निया से मिल सकती है आंखों की रोशनी
नई खोज की डगर: लैब में बने कृत्रिम थ्री डी कॉर्निया से मिल सकती है आंखों की रोशनी

सियोल, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल से बना एक ऐसा कृत्रिम थ्री डी कॉर्निया बनाया है, जो बिल्कुल मनुष्य की आंख जैसा दिखता है। इसे बनाने में सिंथेटिक पॉलिमर का भी उपयोग किया गया। यह कॉर्निया नेत्रदान की आवश्यकता को कम करने में मदद कर सकता है। जब भी किसी व्यक्ति का कॉर्निया गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो उसे प्रत्यारोपण की जरूरत होती है। हालांकि, कई बार लोगों को नेत्रदानकर्ता का वर्षों इंतजार करना पड़ जाता है।

loksabha election banner

इससे पहले भी कई वैज्ञानिक कृत्रिम कॉर्निया को बनाने का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन रासायनिक पदार्थों से बने होने के कारण आंख के प्रत्यारोपण के दौरान इनका प्रयोग नहीं किया जाता था और यह पारदर्शी भी नहीं होता था। दक्षिण कोरिया में पोहांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और क्यूंग्पुक नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बायोइंक का उपयोग कर स्टेम सेल से एक कृत्रिम कॉर्निया बनाया है।

बायोफेब्रिकेशन जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार, यह कॉर्निया कॉर्नियल टिश्यू पैदा करने वाली बायोइंक से बनाया गया है। यह बायोकम्पैटिबल (एक ऐसी सामग्री जो जिंदा कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचाती) है, और थ्री डी सेल प्रिंटिंग तकनीक कॉर्निया को पुन: उपयोग में लाने लायक बनाती है, इसलिए यह मनुष्य की आंख से बहुत मिलती-जुलती है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि भविष्य में यह कृत्रिम कॉर्निया नेत्रदान की आवश्यकता को कम करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

क्या होता है कॉर्निया

कॉर्निया आंख में एक पतली बाहरी परत है, जो पुतली को ढकती है और यह बाहरी वातावरण से आंख की रक्षा करती है। इसी परत पर सबसे पहले प्रकाश की किरणें पड़ती हैं, इसलिए इसे पारदर्शी होने की जरूरत है। यह लचीली होने के साथ ही आसानी से घूमती भी सकती है। प्रत्येक कॉर्निया के अलग-अलग गुणों के कारण सिंथेटिक बायोकम्पैटिबल सामग्री का उपयोग कर एक सीमा तक ही कृत्रिम कॉर्निया बनाए जा सकते हैं। हालांकि, कई शोधकर्ताओं ने इसे पारदर्शी बनाने के भरसक प्रयास किए, लेकिन मौजूदा अध्ययनों में प्रयुक्त सामग्री में प्रकाश आर-पार नहीं जा सकता है। कॉर्निया महीन रेसों (तंतुक)की जाली से बना होता है। जिसका सीधा संबध कॉर्निया की पारदर्शिता से होता है।

कई शोधकर्ता इसे दोबारा बनाने में लगे हुए हैं उनका मानना है कि शरीर में साइटोटॉक्सिक पदार्थों का उपयोग कर कॉर्निया प्रत्यारोपण हो सकता है। कॉर्निया की पारदर्शिता की समस्या को सुलझाने के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने कॉर्नियल जाली पैटर्न के निर्माण के लिए 3 डी प्रिंटिंग के जरिये बायोइंक का उपयोग कर कॉर्निया को बायोकम्पैटेबल बनाया। कॉर्निया तरह ही यह कृत्रिम कॉर्निया भी पारदर्शी है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.