मंगल ग्रह पर मीथेन गैस होने का प्रमाण खोजने के करीब वैज्ञानिक
मंगल ग्रह पर मीथने गैस होने के रहस्य को सुलाझाने के करीब वैज्ञानिक लगभग पहुंच चुके हैं। एक शोध में पाया गया है कि मंगल ग्रह में एक गेल क्रेटर से मीथन गैस निकल रही है।
मेलबर्न, प्रेट्र: मंगल ग्रह पर मीथेन के रहस्यमयी स्रोत को खोजने की दिशा में वैज्ञानिकों ने एक कदम आगे बढ़ाया है। ऑस्ट्रेलियाई नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) के शोधकर्ताओं के अनुसार, मंगल ग्रह पर एक बड़े क्रेटर से मीथेन गैस निकल रही है। इसका निकलना यहां जीवन का एक संकेत हो सकता है या फिर कोई गैर-जैविक गतिविधि भी हो सकती है। 3.8 अरब साल पुराना गेल क्रेटर जो कि व्यास में 154 किमी का है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें एक प्राचीन झील है।
‘जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार वैज्ञानिकों की टीम ने सेटेलाइट ‘एक्सोमार्स ट्रैस गैस’ और मंगल की मिट्टी और हवा के नमूने एकत्र करने वाले नासा के ‘क्यूरियोसिटी रोवर’ के माध्यम से प्राप्त डाटा का विश्लेषण किया है। इससे मीथेन के अनुमान से बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त हुई है।
कनाडा में यार्क यूनिवर्सिटी में एक एएनयू के विजिटिंग शोधार्थी जॉन मूरेस ने कहा कि वैज्ञानिक एक दशक से यह अनुमान लगा रहे हैं कि मंगल पर मीथेन का स्रोत क्या होगा। उन्होंने बताया कि नये अध्ययन से पता चलता है कि मंगल ग्रह के वातावरण में मीथेन की सघनता समय के साथ बदलती है। एएनयू के प्रोफेसर पेनी किंग ने कहा कि पृथ्वी पर कुछ सूक्ष्मजीव ऐसे हैं जो ऑक्सीजन के बिना भी जीवित रह सकते हैं। यह भूमि में गहराई में रहते हैं और मीथेन गैस छोड़ते हैं।
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