शोध- धरती पर एक नए महाद्वीप की कल्पना से उत्साहित हैं वैज्ञानिक
असल में धरती कई परतों से बनी है। इसकी ऊपरी प्लेट पर महाद्वीप और महासागर स्थित हैं। धरती की ये ऊपरी परत या प्लेट लगातार खिसक रही है।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। वैज्ञानिकों का दावा है कि जब प्लेटों में फैलाव होता है या फिर वह तितर-बितर होती हैं तो वह एक दूसरे से दूर चली जाती हैं। इसके बाद ये प्लेटें दोबारा चार सौ से छह सौ मिलयन वर्षों के बाद एक दूसरे के समीप आती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि आखिरी महाद्वीप पैंजिया का निर्माण करीब 310 मिलियन वर्ष पहले बना और लगभग 180 मिलियन साल पहले इसके टूटने की प्रक्रिया शुरू हो गई। दरअसल, यह प्रक्रिया महाद्वीप के निर्माण व विध्वंस में सहायक होती है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस प्रक्रिया में चार नए महाद्वीपों का निर्माण हो सकता है। उन्होंने इस नए महाद्वीप का नाम भी रख लिया है, पैंजिया प्रॉक्सिमा। वैज्ञानिक इस ख़याल को लेकर बहुत उत्साहित हैं। वो कहते हैं कि आज से पांच करोड़ साल बाद ऑस्ट्रेलिया, आकर दक्षिणी पूर्वी एशिया से टकराने लगेगा। इसी तरह अफ़्रीकी महाद्वीप की यूरोप से टक्कर होने लगेगी। उस वक़्त अटलांटिक महासागर का दायरा भी बहुत बढ़ जाएगा।
दरअसल, ये सब इस वजह से होगा क्योंकि धरती के अंदर की चट्टानें लगातार खिसक रही हैं। इनके खिसकने के साथ ही समुद्र और महाद्वीप भी खिसक रहे हैं। इनके खिसकने की रफ़्तार से ही वैज्ञानिकों ने अंदाज़ा लगाया है कि 25 करोड़ साल बाद सारे महाद्वीप एक दूसरे से जुड़ जाएंगे या उससे अलग हो जाएंगे। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि पांच करोड़ साल से आगे जाकर क्या होगा, ये कहना मुश्किल है।
असल में धरती कई परतों से बनी है। इसकी ऊपरी प्लेट पर महाद्वीप और महासागर स्थित हैं। धरती की ये ऊपरी परत या प्लेट लगातार खिसक रही है। इसकी रफ़्तार 30 मिलीमीटर सालाना है। वैज्ञानिकों का मत है कि अगले महाद्वीप का निर्माण 200-250 मिलियन वर्ष में होगा। उनका कहना है कि वर्तमान महाद्वीपीय चक्र को देखा जाए तो वह आधे रास्ते में हैं और वह अभी बिखरा हुआ है। ऐसे में वैज्ञानिक अगले महाद्वीप की कल्पना कर रहे हैं।
अाखिर यह महाद्वीप कैसा होगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि अगले महाद्वीप के गठन के लिए चार मौलिक परिदृश्य हैं। इसमें नोवोपेंज, पेंगा अल्टीमा, औरिका और अमासिया। इसका प्रत्येक रूप अलग-अलग परिदृश्यों पर निर्भर करता है, लेकिन आखिरकार पेंगा कैसे इस प्रक्रिया से अलग हो जाता है, और कैसे दुनिया के महाद्वीप आज भी चल रहे हैं। वैज्ञानिकों ने इस रहस्य् से पर्दा उठाने की कोशिश की है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि हम मौजूदा स्थिति पर नजर डाले तो पेंजे के टूटने से अटलांटिक महासागर का निर्माण हुआ है। इस महासागर का विस्तािर अभी भी जारी है। इसके उलट प्रशांत महासागर निरंतर संकुचित हो रहा है। ऐसे में हमारे पास एक परिद्ष्यल है जहां अगला महाद्वीप पेंजे के एंटीपोड में निर्मित हो रहा है। वैज्ञानिकों ने इसका नाम नोवोपेंज रखा है।