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चीन और अमेरिका के बीच मचा है घमासान, दोनों जैसे को तैसा की नीति से दे रहे जवाब

चीन बीते दो वर्षों से लगातार एक दूसरे के प्रति सख्‍त होते जा रहे हैं। दोनों ही एक दूसरे के खिलाफ एक समान कार्रवाई भी कर रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 03:09 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 03:36 PM (IST)
चीन और अमेरिका के बीच मचा है घमासान, दोनों जैसे को तैसा की नीति से दे रहे जवाब
चीन और अमेरिका के बीच मचा है घमासान, दोनों जैसे को तैसा की नीति से दे रहे जवाब

नई दिल्‍ली, ऑनलाइन डेस्‍क। चीन और अमेरिका के बीच जारी घमासान अब बेहद तीखे मोड़ पर पहुंच चुका है। दोनों ही देशों के बीच कई मुद्दों पर तनाव और टकराव है जिनको लेकर दोनों ही जैसे को तैसा की नीति पर काम कर रहे हैं। इसकी शुरुआत की बात करें तो 2018 में ये दोनों के बीच व्‍यापार वार के तौर पर शुरू हुआ था। चीन में अमेरिकी कंपनियों को समान अधिकार और फायदा न मिलने के बाद अमेरिका ने जुलाई 2018 से चीन से आने वाले 2.34 लाख करोड़ रुपए (34 अरब डॉलर) के सामान पर 25 फीसद तक शुल्क लगाने का फैसला किया था। इसके बाद चीन ने भी अमेरिका को उसकी ही भाषा में जवाब दिया और अपने यहां पर आने वाले अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया।

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ऐसा करते हुए चीन ने कहा था कि अमेरिका विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन कर रहा था लिहाजा देशहित में अमेरिका को जवाब देना जरूरी था। उसी समय चीन ने अमेरिका पर इतिहास का सबसे बड़ा ट्रेड वॉर शुरू करने का आरोप लगाया था। चीन ये भी धमकी दी थी कि वो इस मुद्दे को डब्ल्यूटीओ के सामने उठाएगा। इसके कुछ ही माह के बाद अमेरिका ने एक बार फिर से चीन से आने वाले सामान पर करीब 34.46 लाख करोड़ तक के इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का एलान किया था। बीते से जो घटनाक्रम चीन और अमेरिका के बीच चला है उसमें दोनों के बीच टिट फॉर टैट की नीति को साफतौर पर देखा जा सकता है।

दुनिया में फैली जानलेवा कोविड-19 महामारी के लिए अमेरिका पहला ऐसा देश था जिसने चीन पर इसको पूरी दुनिया में फैलाने का आरोप चीन पर मढ़ा था। बदले में चीन ने भी ऐसा ही आरोप अमेरिका पर मढ़ दिया। इस महामारी के इर्द-गिर्द दोनों देशों के बीच बयानबाजी लगातार तीखी ही हुई। बाद में कुछ और देशों ने भी अमेरिका के सुर में सुर मिलाया और चीन पर इसको फैलाने का आरोप लगाया। इसको लेकर अमेरिका ने विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन को भी नहीं बख्‍शा और उसको दी जाने वाली सहायता राशि तक रोक ली थी।

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अमेरिका ने जहां हांगकांग में चीन द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की गई सख्‍ती के खिलाफ वैश्विक मंच पर चीन को नीचा दिखाने की तो वहीं चीन ने हाल ही में अमेरिका में अश्‍वेत अफ्रीकी अमेरिकन नागरिक की कथित हत्‍या को उसकी ही भाषा में भुनाने की कोशिश की। हांगकांग के अलावा अमेरिका ने चीन में रहने वाले उइगर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हुए मानवाधिकार उल्‍लंघन का आरोप लगाते हुए जब चीन की सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी से जुड़े चेन कुआंगू, झु हाइलुन और वांग मिंगशान समेत चार वरिष्‍ठ राजनेताओं पर प्रतिबंध लगाया तो बदले में चीन ने भी अमेरिकी सिनेटर्स को अपने यहां आने से प्रतिबंधत कर दिया। इनमें अमेरिकी सीनेटरों मार्को रुबिओ और टेड क्रूज के अलावा धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी राजदूत सै म ब्राउनबैक और क्रिस स्मिथ शामिल हैं। चीन ने इसका एलान करते हुए कहा कि उसने यह प्रतिबंध अल्पसंख्यक समूहों और सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों की उनकी आलोचना को लेकर उक्‍त प्रतिबंध लगाए हैं। चेन चीन के प्रभावशाली पोलित ब्यूरो के सदस्य भी हैं। अमेरिका की ओर से प्रतिबंधित किए गए चेन अब तक के सर्वोच्च रैंक वाले चीनी अधिकारी हैं।

माह की शुरुआत में ही अमेरिका के संघीय संचार आयोग ने औपचारिक रूप से चीन की कंपनी हुआवे और जेडटीसी कॉर्प को देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताते हुए इनके साथ किसी तरह के कारोबार पर पाबंदी लगा दी थी। पिछले सप्‍ताह ही अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने चीनी आइटी कंपनी हुवावे के कुछ कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया था। अमेरिकी विदेश विभाग की तरफ से कहा गया कि मानवाधिकारों के हनन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर अमेरिका वीजा प्रतिबंध लगाएगा।

इसी माह अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने दक्षिण चीन सागर को लेकर ड्रैगन के दावे को अस्वीकार्य और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ बताया था। अमेरिका ने पहली बार इतना सख्त रुख दिखाया था। दरअसल, यह बेहद महत्वपूर्ण जल मार्ग है, जहां से दुनिया का सालाना तीन ट्रिलियन डॉलर का कारोबार होता है। इस इलाके में चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ और आवाजाही की स्वतंत्र प्रदर्शित करने के लिए अमेरिका नियमित रूप से अपने युद्धपोत भेजता रहता है। इसके जवाब में चीन ने भी यहां पर अपने युद्धपोत तैनात किए हुए हैं। चीन और अमेरिकी जहाज इससे पहले भी कई बार यहां पर आमने-सामने आ चुके हैं।

दो दिन पहले जब अमेरिका ने उसके ह्यूस्‍टन (टेक्सास) स्थित वाणिज्‍यक दूतावास को बंद करने का आदेश दिया था चीन न साफ कर दिया था कि वो भी इस तरह का ही फैसला लेगा। अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया है कि चीन इसके जरिये अमेरिका में देश विरोधी गतिविधियां कर रहा था। वहीं इस आदेश के बाद चीन ने भी कड़ा रुख इख्तियार करते हुए शुक्रवार को चीन के चेंगदू स्थित अमेरिकी वाणिज्‍य दूतावास को बंद करने का आदेश दिया है।


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