सेवानिवृत्त सेना के जनरल पावेल बने चेक गणराज्य के राष्ट्रपति, चुनाव में लेडी बैबिस को दी शिकस्त
चेक गणराज्य में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में सेना प्रमुख रह चुके पेट्र पावेल ने बड़ी जीत हासिल की है। पावेल ने अपने चुनाव अभियान में नाटो और यूरोपीय संघ के समर्थन और यूक्रेन की सहायता का वादा किया। वह यूरो अपनाने और समलैंगिक विवाह के समर्थक हैं।
प्राग, रायटर। चेक गणराज्य में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में सेना प्रमुख रह चुके पेट्र पावेल ने बड़ी जीत हासिल की है। पावेल ने अपने चुनाव अभियान में नाटो और यूरोपीय संघ के समर्थन और यूक्रेन की सहायता का वादा किया। वह यूरो अपनाने और समलैंगिक विवाह के समर्थक हैं। 61 वर्षीय सेवानिवृत्त जनरल पावेल ने पहली बार चुनाव लड़ा और उन्हें 58% से अधिक मत मिले हैं। करीब पूरे देश में मतगणना पूरी हो चुकी है। उन्होंने चुनाव में अरबपति पूर्व-प्रीमियर लेडी बैबिस को शिकस्त दी है। भारत की तरह चेक गणराज्य में भी राष्ट्रपति की देश चलाने में सीधी या सक्रिय भूमिका नहीं होती है, फिर भी वह प्रधानमंत्री और केंद्रीय बैंक के प्रमुख चुनते हैं, विदेश नीति में उनसे राय ली जाती है और वह सरकारी नीतियों को प्रभावित करते हैं।
बीजिंग-मास्को से यूरो-नाटो की तरफ मुड़ेगी चेक गणराज्य की राजनीति
पावेल मार्च में पदभार संभालेंगे। वह निवर्तमान राष्ट्रपति मिलोस ज़मैन का स्थान लेंगे। जमैन ने चुनावों में बाबिस को समर्थन दिया था। ज़मैन बीजिंग और मास्को के साथ घनिष्ठ संबंधों के पक्षधर थे, वहीं नए राष्ट्रपति यूरो और नाटो के समर्थक हैं। इस तरह पावेल के चुनाव को देश की राजनीति में बड़े फेरबदल के रूप में देखा जा रहा है।
महंगाई को बनाया चुनावी मुद्दा
संसद में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के प्रमुख और उद्योगपति बाबिस ने महंगाई को चुनावी मुद्दा बनाया। उन्होंने चुनाव प्रचार में आशंका जताई कि यूक्रेन से युद्ध चेक गणराज्य में फैल सकता है और युक्रेन-रूस के बीच शांति वार्ता में मध्यस्थता के प्रयास करने की बात कही। उन्होंने आशंका जताई कि पावेल देश को युद्ध में धकेल देंगे। आधिकारिक रूप से परिणाम हालांकि मंगलवार को प्रकाशित होंगे, फिर भी चुनावी तस्वीर साफ हो चुकी हैं। पावेल 1990 के दशक से 2018 तक सेना में रहे।