Move to Jagran APP

अब आसानी से बनाई जा सकेगी दुनिया की सबसे कठोर सामग्री, वैज्ञानिकों ने बनाई तकनीक

अब किफायती दामों पर विमानों कारों और अन्य यातायात के साधनों के डिजाइन बनाए जा सकेंगे। वैज्ञानिकों ने पहली बार सबसे ठोस सामग्री बोरॉन कार्बाइट बनाने की तकनीक विकस‍ित की है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 09:52 AM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 09:52 AM (IST)
अब आसानी से बनाई जा सकेगी दुनिया की सबसे कठोर सामग्री, वैज्ञानिकों ने बनाई तकनीक
अब आसानी से बनाई जा सकेगी दुनिया की सबसे कठोर सामग्री, वैज्ञानिकों ने बनाई तकनीक

मैडिड, पीटीआइ। प्रकृति की सबसे ठोस सामग्रियों में शुमार बोरॉन कार्बाइट नामक यौगिक को बनाने के लिए पहली बार वैज्ञानिकों ने एक विधि विकसित की है। दावा है कि इसकी मदद से अब किफायती दामों पर विमानों, कारों और अन्य यातायात के साधनों के डिजाइन बनाए जा सकेंगे।

loksabha election banner

चिकनी मिट्टी की सामग्री जैसा पदार्थ

साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि बोरॉन कार्बाइट सिरैमिक मैटेरियल (चिकनी मिट्टी की सामग्री) से संबंधित होता है। इस अध्ययन के शोधकर्ताओं में स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ सिवेले के शोधार्थी भी शामिल थे। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह सामग्री बहुत कठोर है। यह उच्च तापमान पर भी स्थिर रहती है और रेडियोएक्टिव विकिरण को भी आसानी से झेल सकती है।

‘लेजर जोन’ का किया इस्तेमाल

नए अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने लेजर जोन तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसमें तेज लेजर विकिरण और फिर इसे जमाने की प्रक्रिया शामिल थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस तरह से प्राप्त बोरॉन कार्बाइट में 52 गिगापास्कल (जीपीए) की कठोरता आ जाती है और इसका यंग मॉड्यूलस 600 जीपीए होता है।

हीरे से भी कठोर है सामग्री

शोधकर्ताओं ने कहा, ‘सबसे कठोर हीरे की तुलना में यह कहीं ज्यादा ठोस है क्योंकि सबसे कठोर हीरा लगभग 45 जीपीए का होता है। हालांकि, इसका यंग मॉड्यूलस 1050 जीपीए होता है।’ उन्होंने कहा कि ऐसे में यह माना जा सकता है कि हीरे के बाद यह ‘बी 6 सी’ प्रकृति का सबसे कठोर पदार्थ है।

बोरॉन कार्बाइट विकिरण झेलने में सक्षम

अध्ययन में बताया गया है कि बोरॉन कार्बाइट परिवार में बी 4 सी से बी 14 सी तक के यौगिक शामिल रहते हैं, जो बी (बोरॉन) और सी (कार्बन) के अनुपात पर निर्भर करते हैं और प्रत्येक यौगिक के अलग-अलग भौतिक गुण भी होते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘इससे पहले हुए अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया था कि बी 6 सी सैद्धांतिक रूप से रेडियो तंरगों का विकिरण झेलने में सक्षम था। लेकिन इसका उत्पादन के करने के लिए अब तक कोई तरीका मौजूद नहीं था।’ 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.