रिसर्च में हुआ खुलासा अगले दशक तक ग्लेशियर हो जाएगा खत्म, बढ़ेगा समुद्र का जल स्तर
एक रिसर्च में सामने आया है कि अगले दशक तक ग्लेशियर पिघल जाएगा। वर्तमान में चल रहे जलवायु परिवर्तन के चलते हिमालय का ग्लेशियर और साउथ अमेरिका का एंडीज पिघल जाएगा।
By Pooja SinghEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 12:54 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 12:54 PM (IST)
नई दिल्ली, एएनआइ। एक रिसर्च में सामने आया है कि अगले दशक तक ग्लेशियर पिघल जाएगा। वर्तमान में चल रहे जलवायु परिवर्तन के चलते हिमालय का ग्लेशियर और साउथ अमेरिका का एंडीज (Andes) अगले दस सालों में गायब हो जाएगा। बताया जा रहा है कि यहां पर मौजूद ऊष्म कटिबंधीय चट्टान जल्द ही ग्लेशियर में मिल जाएंगे। जिससे लोगों को काफी परेशानियों का का सामना करना पड़ सकता है।
यह शोध अमेरिका कि ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी( Ohio State University)ने जारी की है। इस रिसर्च के मुताबिक, सबसे पहले इसका असर ग्लेशियर पापुआ, इंडोनेशिया में हो। जो कि दुनियाभर में अन्य पर्वतीय शीर्ष ग्लेशियरों में गिनी जाती ही हैं। यह रिसर्च विदेशी मीडिया में छपी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2015-2016 अल नीनो के कारण न्यू गिनी के पश्चिमी आधे भाग पर पहाड़ के शीर्ष ग्लेशियरों का पिघलना तेजी से बढ़ा है। बता दें कि कि ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए उत्तरदायी समुद्री घटना को अल नीनो (El Nino) कहते हैं।
इस रिसर्च में वर्णन किया गया है कि अल नीनो एक ऐसी घटना जो उष्णकटिबंधीय महासागर के पानी और वायुमंडलीय तापमान को गर्म करने का कारण बनती है। यह एक प्राकृतिक जलवायु प्रक्रिया है, लेकिन यह ग्लोबल वार्मिंग के चलते बढ़ गई है। इसके अलावा इस रिसर्च में कहा गया है कि तंजानिया के किलिमंजारो और पेरू में भी उष्णकटिबंधीय का असर ग्लेशियर में दिख सकते है। यानी यहां के भी ग्लेशियर पिघल सकते हैं। रिसर्च कर रहे विद्वान लोनी थॉम्पसन एस ने कहा कि पपुआ और इंडोनेशिया में होने वाली यह घटना पूरे दुनिया के लिए चेतावनी है।
शोधकर्ताओं ने ग्लेशियर पर वर्ष 2010 से निगरानी कर रहे थे। अपनी रिचर्स के दौरान उन्होंने ग्लेशियर के आसपास के इलाके के पास अध्यन किया कि कितनी देर में बर्फ पिघल रही है। रिसर्च के दौरान कहा गया है कि ग्लेशियर की बर्फ हर हिन पिघल रही है। अध्ययन ने चेतावनी दी है कि विश्व स्तर पर ग्लेशियर पिघलने से समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है, जिससे समुद्र के पानी के गर्म होने के साथ-साथ अधिक बार और अधिक तीव्र तूफान आ सकते हैं।
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