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कतर के विदेश मंत्री बोले, तालिबान महिलाओं का करे सम्मान, मान्यता देने पर विचार करना अभी होगी जल्दबाजी

कतर विदेश मंत्री फ्रांस के विदेश मंत्री जीन यवेस ले ड्रियान के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में अभी भी फ्रांस के नागरिक फंसे हुए हैं। फ्रांस कतर के साथ मिलकर वहां से निकासी अभियान की योजना बना रहा है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 06:20 PM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 06:20 PM (IST)
कतर के विदेश मंत्री बोले, तालिबान महिलाओं का करे सम्मान, मान्यता देने पर विचार करना अभी होगी जल्दबाजी
कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुर्रहमान अल थानी की फाइल फोटो

दुबई, रायटर। कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुर्रहमान अल थानी ने कहा कि उन्होंने तालिबान से आग्रह किया है कि वह महिलाओं का सम्मान करें। कतर के विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि तालिबान की सरकार को मान्यता देने पर विचार करना अभी जल्दबाजी होगी।

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कतर विदेश मंत्री फ्रांस के विदेश मंत्री जीन यवेस ले ड्रियान के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में अभी भी फ्रांस के नागरिक फंसे हुए हैं। फ्रांस कतर के साथ मिलकर वहां से निकासी अभियान की योजना बना रहा है।

उन्होंने बताया कि हमने हमेशा तालिबान से कहा है कि वह अफगानिस्तान में विकास के लिए अफगान लोगों और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करे।

बता दें कि तालिबान के पूर्व के शासन में महिलाओं के अधिकार सुरक्षित नहीं थे और उनकी शिक्षा पर भी पाबंदी थी।

ज्ञात हो कि कतर की राजधानी दोहा में लंबे समय से तालिबान अपना राजनीतिक कार्यालय चलाता रहा है। तालिबान पर कतर का विशेष प्रभाव है।

संयुक्त राष्ट्र ने भी की तालिबान के तौर तरीकों की सख्त आलोचना

वहीं, दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र ने भी तालि‍बान के तौर-तरीकों की सख्‍त आलोचना की है। यूएन की एक अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान शासकों ने महिलाओं को घर पर रहने का आदेश देने, किशोर लड़कियों को स्कूल जाने से रोकने और घर-घर जाकर तलाशी लेने सहित अधिकारों पर सार्वजनिक वादों का खंडन किया है। मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने कहा कि अफगानिस्तान एक 'नए और खतरनाक चरण' में है क्योंकि पिछले महीने आतंकी इस्लामी समूह तालि‍बान ने अफगानिस्‍तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से काफी संख्‍या में महिलाओं और जातीय और धार्मिक समुदायों के सदस्य चिंतित थे।

गौरतलब है कि तालिबान के सत्ता में आते ही अफगानिस्तान के हालात खराब हो गए हैं। अफगानिस्तान में महिलाओं और आम नागरिकों को प्रताड़ित किया जा रहा है। बड़ी संख्या में लोग देश छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। 


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