सुरक्षा बिल के खिलाफ फ्रांस में जगह-जगह प्रदर्शन, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों का विरोध
सरकार का कहना है कि इसका मकसद पुलिस को हिंसा के लिए ऑनलाइन कॉल से बचाना है। आलोचकों को डर है कि अगर अधिनियमित किया जाता है तो यह उपाय पत्रकारों अन्य लोगों को खतरे में डाल देगा जो काम पर अधिकारियों के वीडियो लेते हैं खासकर प्रदर्शनों के दौरान।
पेरिस, एपी। फ्रांस में प्रस्तावित सुरक्षा बिल के विरोध में शनिवार को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने पेरिस समेत दूसरे शहरों में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने बिल को सूचना की आजादी का उल्लंघन बताया। इस बिल के जरिये पुलिस अफसरों की तस्वीरों को उन्हें नुकसान पहुंचाने की नीयत से प्रकाशित करने को अपराध बना दिया गया है। इसके उल्लंघन पर एक साल तक कैद की सजा और 53 हजार डॉलर (लगभग 40 लाख रुपये) जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
फ्रांस सरकार का कहना है कि वह पुलिस अफसरों की ऑनलाइन हिंसा से बचाना चाहती है। वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इससे पत्रकारों और उन लोगों के लिए खतरा पैदा हो जाएगा, जो प्रदर्शन के दौरान पुलिस अफसरों का वीडियो बनाते हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग भी इस बिल पर चिंता जता चुका है।
काबुल के रिहायशी इलाकों पर रॉकेट से हमला, आठ की मौत
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल शनिवार को रॉकेट हमलों से दहल गई। रिहायशी इलाकों को निशाना बनाकर 23 रॉकेट दागे गए। इसमें आठ नागरिकों की मौत हो गई और 31 घायल हो गए। कई रॉकेट कुछ दूतावासों के समीप भी गिरे। इसके चलते दूतावासों के सायरन बज उठे थे। इस हमले के तुरंत बाद तालिबान ने बयान जारी कर कहा कि इसमें उसका कोई हाथ नहीं है।गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक एरियन ने बताया कि हमले में आठ नागरिकों के मरने और 31 के घायल होने की खबर है।
आतंकी एक ट्रक में रॉकेट लेकर आए थे और रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया। इसकी जांच चल रही है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि ट्रक किस तरह शहर मेंे आया था। कुछ लोगों ने रॉकेट दागने की फिल्म बनाई और इन्हें इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट किया। फेसबुक पर भी कई तस्वीरें साझा की गई हैं, जिनमें क्षतिग्रस्त कारें, खिड़कियां और घर दिखाई दिए। फेसबुक पर एक भाई-बहन की तस्वीर भी खूब वायरल हुई है।