लेबनान में फिर सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी, राजधानी बेरुत समेत कई शहरों का चक्का जाम
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि नई कैबिनेट से सियासी हस्तियों को दूर रखा जाए। उनका आरोप है कि ये नेता भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं और देश की अर्थव्यवस्था को संकट में डाल देते हैं।
बेरुत, रायटर। लेबनान में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी सोमवार को फिर सड़कों पर उतर आए। उन्होंने राजधानी बेरुत समेत कई शहरों में सड़कों को दोबारा अवरुद्ध कर दिया।
इस पश्चिम एशियाई देश में वाट्सएप कॉल पर टैक्स और भ्रष्टाचार के खिलाफ गत 17 अक्टूबर से विरोध प्रदर्शनों का दौर चल रहा है। इसके दबाव में प्रधानमंत्री साद हरीरी को गत 29 अक्टूबर को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
सड़कों पर फिर जमा हुए प्रदर्शनकारी
लेबनान में अभी तक नई सरकार का गठन नहीं हो पाया है। हरीरी के इस्तीफे के बाद विरोध प्रदर्शन ठंडे पड़ गए थे। दो हफ्ते बाद गत शुक्रवार को सड़कों को दोबारा खोल दिया गया था। लेकिन सोमवार तड़के बेरुत और देश के दूसरे हिस्सों में प्रदर्शनकारी अवरोध लगाकर सड़कों पर फिर जमा हो गए।
इसके चलते लोगों को जाम से जूझना पड़ा और स्कूलों को खोलने से पहले दोबारा बंद कर दिया गया। स्कूलों को सोमवार से खोला जाना था। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि नई कैबिनेट से सियासी हस्तियों को दूर रखा जाए। उनका आरोप है कि ये नेता भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं और देश की अर्थव्यवस्था को संकट में डाल देते हैं।
सरकार में ऐसे लोगों को चाहते हैं प्रदर्शनकारी
हशीम अदनान नामक एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हम भ्रष्टाचार से मुकाबले के लिए सरकार में तकनीकी विशेषज्ञों और जजों को देखना चाहते हैं। हम चोरी की गई धनराशि की बरामदगी और सरकार को जवाबदेह बनाना चाहते हैं।'
गौरतलब है कि 17 अक्टूबर को लेबनान में सरकार ने व्हाट्सएप कॉल पर एक कर लगाने का प्रस्ताव दिया। जिसके विरोध में लोगों ने देश के कई शहरों में आंदोलन छेड़ दिया जिससे लेबनान में हालात काफी गंभीर हो गए। प्रदर्शनकारी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को खत्म करने और देश की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
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