पाकिस्तान में बलूच महिला की गिरफ्तारी का विरोध, प्रदर्शनकारियों ने नूरजहां को तुरंत रिहा करने की मांग की
बलूचिस्तान में महिलाओं और बच्चों का उत्पीड़न हत्या जबरन गायब करना और यातनाएं एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है। बलूचिस्तान की नूरजहां की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किये गए हैं।बलूच नेता ने कहा सीटीडी द्वारा नूरजहां की गिरफ्तारी निंदनीय है...
क्वेटा, एएनआइ। आतंकवाद विरोधी विभाग द्वारा बलूचिस्तान के तुरबत से नूरजहां की गिरफ्तारी के खिलाफ लोगों के एक समूह ने क्वेटा प्रेस क्लब के सामने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए, कई बलूच नेताओं ने कहा, 'आतंकवाद विरोधी विभाग अब हमारे युवाओं के बाद हमारी महिला लोगों को गिरफ्तार कर रहा है। सीटीडी द्वारा नूरजहां की गिरफ्तारी निंदनीय है।'
बलूच नेताओं ने कहा कि सरकारी एजेंसियों ने पहले युवकों को जबरदस्ती गिरफ्तार किया और फिर बिना किसी सुराग के गायब कर दिया और कुछ समय बाद उनके उत्पीड़ित और क्षत-विक्षत शव उनके घरों से दूर पाए गए।
बलूच नेताओं ने कहा, 'अब वे हमारी महिलाओं को भी गिरफ्तार कर रहे हैं। यह असहनीय है। उन्होंने मांग की कि नूरजहां को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। अन्यथा, हम कुछ मजबूत कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे और इसके लिए सरकार और उसकी एजेंसियां जिम्मेदार होंगी।'
मानवाधिकारों का हो रहा है उल्लंघन
बलूच राष्ट्रीय आंदोलन के मानवाधिकार सचिव नजीर नूर बलूच ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (UNHCR), ह्यूमन राइट्स वाच (HRW) और पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) सहित मानवाधिकार संगठनों को पत्र लिखा। उन्होंने अपने पत्र में कहा, 'पिछले दो दशकों से, बलूचिस्तान सबसे खराब मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना कर रहा है। सामूहिक सजा के परिणामस्वरूप, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा बलूच जनता को दैनिक आधार पर पीड़ित किया जा रहा है।' उन्होंने आगे कहा कि इन अत्याचारों और मानवाधिकारों के हनन को उजागर करने के लिए, राजनीतिक दलों और बलूचिस्तान के मानवाधिकार संगठनों ने एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वाच जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को स्थितियों को समझाने के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
बलूचिस्तान लंबे वक्त से इस मुश्किल का कर रहा है सामना
आपको बता दें कि बलूचिस्तान लंबे वक्त से बड़ी मुश्किल का सामना कर रहा है, जहां पर प्रतिदिन महिलाओं और बच्चों के जबरन गायब होने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में एक नार्वे के नागरिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता एहसान अर्जेमंडी, जो बलूच लोगों के गायब होने की एक बड़ी संख्या की जांच के लिए पाकिस्तान गए हुए थे, वहां पर उनके साथ भी बुरा व्यवहार किया गया। अर्जेमंडी को असंवैधानिक ढंग से हिरासत में लिया गया और उन्हें क्रूरता से बुरी तरह प्रताड़ित किया गया।