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पीएम मोदी ने कहा- आतंकवाद से भारत व श्रीलंका दोनों को खतरा, मिल कर लड़ेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के सेंट एंटनी चर्च में हुए सीरियल ब्लास्ट में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 09 Jun 2019 08:20 AM (IST)Updated: Sun, 09 Jun 2019 09:06 PM (IST)
पीएम मोदी ने कहा- आतंकवाद से भारत व श्रीलंका दोनों को खतरा, मिल कर लड़ेंगे
पीएम मोदी ने कहा- आतंकवाद से भारत व श्रीलंका दोनों को खतरा, मिल कर लड़ेंगे

कोलंबो, प्रेट्र/एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आतंकवाद भारत व श्रीलंका दोनों देशों के लिए खतरा है और दोनों ही देश इससे मिलकर लड़ेगे। श्रीलंका की एक दिन की यात्रा पर रविवार को यहां पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन समेत प्रमुख नेताओं से मुलाकात की। श्रीलंका में अप्रैल में ईस्टर के दिन हुए बड़े आतंकी हमले के बाद श्रीलंका की यात्रा करने वाले मोदी पहले विदेशी नेता हैं।

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इन हमलों में 11 भारतीयों समेत 250 से ज्यादा लोग मारे गए थे। राष्ट्रपति सिरिसेन से मुलाकात के बाद मोदी ने ट्वीट किया, '10 दिनों में राष्ट्रपति मैत्रीपाल से हमारी दूसरी मुलाकात है। राष्ट्रपति सिरिसेन और मैं इस बात पर सहमत थे कि आतंकवाद संयुक्त खतरा है और इसके खिलाफ सामूहिक और स्पष्ट कार्रवाई की जरूरत है। इस मुलाकात के दौरान साझा, सुरक्षित और समृद्ध भविष्य के लिए श्रीलंका के साथ भागीदारी की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया गया।'

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया कि दोनों नेताओं ने पारस्परिक हित के द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। राष्ट्रपति सिरिसेना पिछले महीने मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।

भारतीय समुदाय को संबोधित किया
प्रधानमंत्री मोदी ने कोलंबो स्थित इंडिया हाउस में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में भारत की स्थिति मजबूत हो रही है और इसमें प्रवासी भारतीयों का बड़ा योगदान है। प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं जहां भी जाता हूं, मुझे भारतीय प्रवासियों की सफलता और उपलब्धियों के बारे में बताया जाता है।'

ईस्टर आतंकी हमलों में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री मोदी कोलंबो पहुंचने के तुरंत बाद सेंट एंथनी चर्च गए और अप्रैल में ईस्टर के दिन आतंकी हमलों में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के कायरतापूर्ण कार्य श्रीलंका की भावना को नहीं मार सकते। सेंट एंथनी चर्च पर भी आतंकी हमला हुआ था।

प्रधानमंत्री के साथ भी बैठक
पीएम मोदी ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ बैठक की। बैठक के बाद मोदी ने बताया कि द्विपक्षीय विकास भागीदारी को और मजबूत करने के लिए भारत का श्रीलंका को पूरा समर्थन है। मोदी ने विपक्ष के नेता महिंदा राजपक्षे के साथ भी विभिन्न मसलों पर व्यापक विचार-विमर्श किया।

अशोक का पौधा रोपा
इसके बाद मोदी श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन पहुंचे, जहां उनका रस्मी स्वागत किया गया। इस दौरान राष्ट्रपति सिरिसेन हाथ में छाता लिए दिखाई दिए। छाते से वह खुद को और प्रधानमंत्री मोदी को बारिश से बचा रहे थे। मोदी ने राष्ट्रपति सचिवालय में अशोक का एक पौधा भी रोपा।

समाधि बुद्ध की मूर्ति की प्रतिकृति भेंट
सिरिसेन ने प्रधानमंत्री के सम्मान में भोज का आयोजन किया। उन्होंने मोदी को भगवान बुद्ध की समाधि मूर्ति की प्रतिकृति भी विशेष उपहार के रूप में दी। इसे अनुराधापुर काल की सर्वश्रेष्ठ कलाकृतियों में से एक माना जाता है। मूल प्रतिमा चौथी और सातवीं ईसवी के बीच बनी थी।

यात्रा को लाभदायक बताया
प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका यात्रा को लाभदायक बताया। वहां से रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हमारे दिल में श्रीलंका की खास जगह है। मैं श्रीलंका के अपने भाईयों और बहनों को आश्र्वस्त करना चाहता हूं कि भारत हमेशा आपके साथ है और आपके देश की उन्नति में समर्थन करेगा। आपके यादगार स्वागत के लिए धन्यवाद।' इससे पहले, श्रीलंका पहुंचने पर प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। बाद में विक्रमसिंघे प्रधानमंत्री मोदी को छोड़ने भी एयरपोर्ट तक आए थे। प्रधानमंत्री मोदी मालदीव से यहां पहुंचे थे।

श्रीलंकाई राष्ट्रपति बोले, नहीं पैदा होने देंगे 'मुस्लिम प्रभाकरण'
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन ने ईस्टर के दिन हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा है कि उनका देश 'मुिस्लम प्रभाकरण' को नहीं पैदा होने देगा। उन्होंने देश के सभी समुदायों के बीच एकता पर बल दिया। कभी लिट्टे का गढ़ रहे मुलैतिवू में सिरिसेन ने कहा कि देश में धार्मिक नेता और राजनेता बंटे हुए हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वो मुस्लिम प्रभाकरण को नहीं पैदा होने दें।

बता दें कि अलग तमिल राष्ट्र की मांग करने वाले आतंकी संगठन लिट्टे सरगना प्रभाकरण ने तीन दशकों तक श्रीलंका में गृह युद्ध छेड़ रखा था, जिसमें 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। 2009 में सेना की कार्रवाई में प्रभाकरण मारा गया था। 

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