राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने यूएन से कहा- PoK में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं, आतंकी ठिकाने बरकरार
UKPNP के अध्यक्ष सरदार शौकत अली कश्मीरी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा जब कोई राज्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाता है या समझौता करता है तो इसका उद्देश्य यह होता है कि उसके गलत कामों का पर्दाफाश न हो।
जिनेवा, एएनआई। पाकिस्तान के लिए आतंकवाद की हिमायत करना और उसे पनाह देना दोनों ही हमेशा एक गंभीर मुद्दा बना रहता है। वहीं, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने बुधवार को जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 52वें सत्र में एक कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान की जमकर आलोचना की।
नाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी कार्यक्रम
कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने और क्षेत्र में आतंकी संगठनों को खुली छूट देने के लिए पाकिस्तान की निंदा की। बता दें कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने के लिए यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) द्वारा 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। विशेष रूप से आज की दुनिया में जहां सेंसरशिप और भाषण का दमन तेजी से आम होता जा रहा है।
UKPNP के अध्यक्ष ने कहा
UKPNP के अध्यक्ष सरदार शौकत अली कश्मीरी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "जब कोई राज्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाता है या समझौता करता है, तो इसका उद्देश्य यह होता है कि उसके गलत कामों का पर्दाफाश न हो।'' उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य यह भी है कि लोग विरोध न करें। 1947 से, पाकिस्तान ने विभिन्न अध्यादेशों, कृत्यों और रणनीति के माध्यम से हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संघ की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया है। यही कारण है कि जब कोई रैली या सेमिनार होता है तो उसे रोकने की कोशिश की जाती है।'
राय व्यक्त करने की अनुमति नहीं
राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने पीओके में लोगों ने कई उदाहरण दिए जहां क्षेत्र के छात्रों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अपनी राय व्यक्त करने की अनुमति नहीं है और उन्हें दुश्मन माना जाता है और धमकी दी जाती है। उन्होंने कहा, "पीओके में, हमारे 20 छात्र नेताओं पर राजद्रोह अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। वे राज्य दिवस का आयोजन कर रहे थे और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया। हमारे कई नेता पहले ही अत्यधिक यातना का सामना कर चुके हैं। यहां, अदालतें स्वतंत्र नहीं हैं और यह मुश्किल है जमानत मिल जाए और इन छात्र नेताओं को 2-3 महीने तक प्रताड़ित किया गया।"