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यंगून में म्‍यांमार नेता आंग सान सू के आवास पर पेट्रोल बम से हमला

म्यांमार में लोकतंत्र की मसीहा मानी जाने वाली सू की के आवास पर यह हमला उनकी नीतियों का विरोध माना जा रहा है।

By Pratibha KumariEdited By: Published: Thu, 01 Feb 2018 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 01 Feb 2018 03:02 PM (IST)
यंगून में म्‍यांमार नेता आंग सान सू के आवास पर पेट्रोल बम से हमला
यंगून में म्‍यांमार नेता आंग सान सू के आवास पर पेट्रोल बम से हमला

यंगून, एएफपी। म्यांमार के यंगून में झील के किनारे बने आंग सान सू की के आवास पर गुरुवार को पेट्रोल बम से हमला किया गया। हमले के समय देश की नेता सू की आवास पर नहीं थीं। हमले से उनके आवास में आग लग गई जिससे थोड़ा नुकसान हुआ है। जल्द ही आग पर काबू पा लिया गया। सू की इस समय राजधानी नेपीता में हैं जहां उन्हें सरकार की दूसरी वर्षगांठ पर संसद को संबोधित करना है।

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म्यांमार में लोकतंत्र की मसीहा मानी जाने वाली सू की के आवास पर यह हमला उनकी नीतियों का विरोध माना जा रहा है। अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिमों के मुद्दे पर देश को इस समय अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। देश के करीब साढ़े छह लाख मुसलमान भागकर बांग्लादेश पहुंचे हैं, लेकिन सू की ने उनके लिए सहानुभूति में कुछ नहीं कहा है।

यंगून के जिस आवास पर पेट्रोल बम से हमला हुआ है, वह सैन्य शासन के खिलाफ लोकतंत्र की लड़ाई में अहम स्थल के रूप में जाना जाता है। इसी आवास पर सू की वर्षो तक कैद करके रखा गया था। यहीं से उन्होंने अपना आंदोलन चलाया। इसी आंदोलन का नतीजा था कि सैन्य शासन को लोकतंत्र स्थापना के लिए बाध्य होना पड़ा और सन 2015 में म्यांमार में चुनाव हुए। चुनाव सू की की पार्टी भारी बहुमत से चुनाव जीती। कानूनी प्रावधानों के चलते सू की राष्ट्रपति नहीं बन सकीं, लेकिन सत्ता की बागडोर उनके ही हाथों में हैं।

आपको बता दें कि बीते साल अगस्‍त में रोहिंग्‍या विद्रोहियों ने सरकारी सुरक्षा बलों पर सिलसिलेवार हमला बोल दिया था, जिसके बाद देश की सेना ने पूरे समुदाय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि लोगों को म्‍यांमार छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा। लाखों की संख्‍या में रोहिंग्‍या मुस्लिमों ने बांग्‍लादेश में शरण लिया। इसको लेकर वैश्विक स्‍तर पर म्‍यांमार को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा और रोहिंग्‍याओं को वापस बुलाने के लिए दबाव बढ़ा। हालांकि अभी भी लोग लौटना नहीं चाह रहे हैं। 


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