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जानें, मस्तिष्‍क की बनावट और उसका अच्‍छी स्‍मृति से क्‍या है लिंक, शोध के रोचक निष्‍कर्ष

अमेरिका और नीदरलैंड के वैज्ञानिकों का दावा है कि एक बड़ा मस्तिष्क आपकी स्मृति, तर्क और प्रतिक्रियाओं का उपयोग करके कार्यों में बेहतर ढंग से करने के लिए प्रेरित करता है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Thu, 06 Dec 2018 01:47 PM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2018 03:07 PM (IST)
जानें, मस्तिष्‍क की बनावट और उसका अच्‍छी स्‍मृति से क्‍या है लिंक, शोध के रोचक निष्‍कर्ष
जानें, मस्तिष्‍क की बनावट और उसका अच्‍छी स्‍मृति से क्‍या है लिंक, शोध के रोचक निष्‍कर्ष

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। क्‍या आप जानते हैं कि मस्तिष्‍क के साइज का सीधा संबंध उसकी तार्किक क्षमता और बेहतर स्‍मृति से जुडा है। जी हां, एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि बड़े आकार के मस्तिष्‍क के बहुत फायदे हैं। वैज्ञानिकाें का दावा है कि बड़ा मस्तिष्‍क अधिक तार्किक होता है। इसके अलावा उसकी स्‍मृति क्षमता भी अधिक होती है। शोधकर्ताओं ने इस प्रयोग के लिए 13,600 लोगों का चयन किया और उनका एमआरआइ स्‍कैन किया गया। यह प्रमुख खोज दो सौ वर्ष पूर्व किए गए शोधों को लिंक करती है। इसमें महिला और पुरुष के मस्तिष्‍क का भी तुलनात्‍म्‍क अध्‍ययन किया गया है। इस अध्‍ययन के नतीजों को जर्नल साइकोलॉजिकल साइंस में प्रकाशित किया गया है।

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वैज्ञानिकों का दावे

अमेरिका और नीदरलैंड के वैज्ञानिकों का दावा है कि एक बड़ा मस्तिष्क आपकी स्मृति, तर्क और प्रतिक्रियाओं का उपयोग करके कार्यों में बेहतर ढंग से करने के लिए प्रेरित करता है। अमेरिका और नीदरलैंड के शोधकर्ताओं ने प्रयोगकर्ताओं के शैक्षणिक उपलब्धियों के साथ एमआरआई स्कैन से मस्तिष्क के आकार का तुलनात्‍मक अध्‍ययन किया है।

दरअसल, यह अध्ययन एक डेटासेट पर आधारित था। इसमें करीब 60 लाख ब्रिटिश लोगों की जानकारी और राय को शामिल किया गया है। इसके साथ इसमें बीस हजार प्रतिभागियों के स्वास्थ्य, जेनेटिक्स के साथ-साथ मस्तिष्क स्कैन की भी जानकारी शामिल है। नीदरलैंड में वीआरजे यूनिवर्सिटिट एम्स्टर्डम में प्रोफेसर और इस अध्ययन के सहलेखक फिलिप कोलिंगर का कहना है कि इस प्रकार यह अपने आप में अनोखा शोध है, जो पहले कभी अस्तित्व में नहीं था।

उनका दावा है कि इस विषय पर अब तक हुए सभी पूर्व अध्‍ययनों की तुलना में यह सत्‍तर फीसद बड़ा है। इसमें मस्तिष्‍क के आकार के नमूने लिए गए। इसके अलावा छोटे मस्तिष्‍क और बड़े मस्तिष्‍क का तुलनात्‍मक अध्‍ययन किया गया। यानी साइज के आधार पर मस्तिष्‍कों की क्षमता का परीक्षण किया गया।

महिला और पुरुषों के मस्तिष्‍क में नहीं है फर्क

शोध टीम के प्रमुख वैज्ञानिक पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गिदोन नेव का कहना है कि छोटे मस्तिष्‍क वाले व्‍यक्ति की तुलना में बड़े मस्तिष्‍क वाला व्‍यक्ति बेहतर प्रदर्शन करता है। इसी तरह महिला और पुरुषों के मस्तिष्‍क के आकार में पर्याप्त अंतर के बावजूद दोनों के प्रदर्शन और क्षमता में बहुत अंतर नहीं पाया गया। प्रोफेसर  नेव ने कहा, महिलाआें और पुरुषों में लंबाई के लिहाज से मस्तिष्क की साइज में एक बहुत बड़ा अंतर पाया गया, लेकिन यह अंतर कार्यक्षमता या उसके प्रदर्शन में भेद नहीं करता है। उनका कहना है कि दरअसल, मस्तिष्क के बाहरी हिस्से की ऊपरी परत सेरेब्रल कॉर्टेक्स पुरुषों की तुलना में महिलाओं की मोटी होती है सेरेब्रल कॉर्टेक्स की मोटी परत महिलाओं के लिए वरदान है। इसके चलते महिलाओं के छोटे मस्तिष्‍क के बावजूद उनकी कार्यक्षमता प्रभावित नहीं होती है।

इस शोध में प्रतिभागियों के तर्क, स्मृति और दी जाने वाली प्रतिक्रिया के समय पर परीक्षण किया गया। इसमें ज्ञान को आधार नहीं बनाया गया। इस शोध में एक व्यक्ति की सामान्‍य बुद्धि का आकलन करते समय टीम ने अकेले मस्तिष्क के आकार पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की। इसके अलावा व्‍यक्ति की लंबाई, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और अनुवांशिक वंश जैसे कारकों को भी शामिल किया गया। 

नौकरी के लिए इस मानक का इस्‍तेमाल नहीं करे
शोधकर्ताओं ने बताया कि मस्तिष्‍क के प्रदर्शन को मापना एक कठिन और चुनौतीपूर्ण काम है। इस अध्ययन में इसकी कमजोरियां भी उजागर हुई हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि अध्‍ययन के निष्कर्षों के बावजूद, नौकरी के लिए भर्ती करते समय कोई भी इसे मानक के रूप में इस्‍तेमाल नहीं करे। इस बाबत प्रोफेसर नावे ने कहा कि 'जरा कंप्यूटर के बारे में सोचें - यदि आपके पास अधिक ट्रांजिस्टर हैं, तो आप तेजी से गणना कर सकते हैं और अधिक जानकारी भेज सकते हैं। यह मस्तिष्क के लिए कुछ हद तक समान हो सकता है- यदि आपके पास अधिक न्यूरॉन्स हैं, तो इससे आपको बेहतर स्मृति मिल सकती है।


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