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मरने के बाद आपके फेसबुक अकाउंट का क्‍या होगा, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

बर्लिन की उच्‍च अदालत ने इस मामले में माता-पिता और फेसबुक को कोर्ट के बाहर समझौता करने का मौका भी दिया, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 09:25 AM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 09:00 PM (IST)
मरने के बाद आपके फेसबुक अकाउंट का क्‍या होगा, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
मरने के बाद आपके फेसबुक अकाउंट का क्‍या होगा, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

नई दिल्‍ली, एएफपी। जर्मनी की शीर्ष अदालत ने मृत व्‍यक्ति के फेसबुक अकाउंट को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने निर्णय में फेसबुक कंपनी को आदेश दिया कि वो मृत बेटी के अकाउंट को लॉग इन कर पाने की इजाजत उसकी मां को दे। हालांकि इसके लिए मां को एक लंबा संघर्ष करना पड़ा। लेकिन इस फैसले से साफ हो गया है कि अगर नाबालिग फेसबुक अकाउंट होल्‍डर की मृत्‍यु हो जाती है, तो उसके अकाउंट का उत्तराधिकार माता-पिता को मिल सकता है।

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दरअसल, जर्मन माता-पिता अपनी बेटी की मौत के बाद उसके फेसबुक अकाउंट को लॉग इन करने की अनुमति मांग रहे थे। लेकिन फेसबुक ने अनुमति देने से मना कर दिया। ऐसे में माता-पिता ने कोर्ट का सहारा लिया। माता-पिता का कहना था कि उनकी बेटी की 2012 में संदेहास्‍पद स्थिति में मौत हो गई थी। वे फेसबुक अकाउंट के जरिए इस मौत से जुड़े कुछ सवालों के जवाब ढूंढना चाह रहे हैं। लेकिन फेसबुक ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी का हवाला देकर अकाउंट का लॉग इन करने की इजाजत नहीं दी।

बर्लिन की उच्‍च अदालत ने इस मामले में माता-पिता और फेसबुक को कोर्ट के बाहर समझौता करने का मौका भी दिया, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। बता दें कि लड़की मौत 5 साल पहले बर्लिन के एक सब-वे स्‍टेशन पर ट्रेन के सामने आ जाने से हुई थी। लेकिन अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि ये कोई दुर्घटना थी या खुदकशी। कोर्ट के सामने अब ये सवाल था कि डिजिटल खातों को भी अनुरूप संपत्ति(एनालॉग संपत्ति) के दायरे में रखा जाए या नहीं। हालांकि बर्लिन की एक स्‍थानीय अदालत ने साल 2015 में माता-पिता के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसे फेसबुक ने उच्‍च अदालत में चुनौती दी थी।

स्‍थानीय अदालत ने फैसला सुनाते समय यह तर्क दिया था कि एनालॉग और डिजिटल संपत्तियों के साथ समान रुख नहीं अपनाया जाए तो यह विरोधाभास पैदा होगा कि चिट्ठी-पत्र, डायरी, सामग्री के लिहाज से स्वतंत्र है, लेकिन ईमेल और फेसबुक नहीं। अदालत ने कहा था कि बेटी की निजी संपत्ति पर माता-पिता की पहुंच से निजी अधिकार का उल्लघंन नहीं होता, क्योंकि उन्हें यह जानने का पूरा हक है कि उनके नाबालिग बच्चे ऑनलाइन क्या कर रहे हैं।

उच्‍च अदालत ने भी अब माता-पिता के पक्ष में ही फैसला दिया है। माता-पिता अब अपनी मृत बेटी के फेसबुक अकाउंट को एक्‍सेस कर पाएंगे। इस फैसले को ऐतिहासिक बताया जा रहा है, क्‍योंकि इससे यह साफ हो गया है कि मरने के बाद आपके फेसबुक अकाउंट का क्‍या होगा? आपके जाने के बाद आपका फेसबुक अकाउंट किसकी संपत्ति होगा?


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