संयुक्त राष्ट्र ने कहा- पाकिस्तान गिलगिट-बलटिस्तान में सीधा दखल नहीं दे सकता
सिंधु नदी पर बांध के निर्माण से ना सिर्फ यहां के पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा बल्कि चिलास जैसे शहर पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे।
ग्लॉसगो (स्कॉटलैंड), एएनआइ। पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगिट-बलटिस्तान को असंवैधानिक और अवैध तरीके से राजनीतिक और आर्थिक गुलामी की जंजीरों में बांधने के लिए पाकिस्तान ने नई चाल चली है। उसने राजनीतिक संप्रभुता और आर्थिक विकास का स्वांग रचकर भारत के इस इलाके में अपनी जड़ें जमाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।
15 मई को पाक राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने जारी किया संशोधन आर्डर
विगत 15 मई को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भारतीय क्षेत्र गिलगिट-बलटिस्तान पर अपने अवैध कब्जे को वाजिब और संवैधानिक ठहराने के लिए पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 56 (धारा 5) का विस्तार क्षेत्र बढ़ाने वाले एक संशोधन आदेश-2020 को जारी किया। यह पाकिस्तान में चुनाव कराने के दायरे को बढ़ाता है। इस संशोधन के जरिये इस क्षेत्र में आम चुनाव होंगे और कब्जेवाले क्षेत्र में पाकिस्तान की अंतरिम सरकार का गठन होगा। इससे पहले, गिलगिट-बलटिस्तान आर्डर-2018 में इतने प्रावधान नहीं थे। इसके चलते वहां आम चुनाव करा कर अंतरिम सरकार नहीं बनाई जा सकती है। इस क्षेत्र में मौजूदा समय में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) सरकार है जिसका कार्यकाल 26 जून को खत्म हो रहा है।
पाक गिलगिट-बलटिस्तान में सीधा दखल नहीं दे सकता- संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार पाकिस्तान गिलगिट-बलटिस्तान में सीधा दखल नहीं दे सकता है। पाकिस्तान के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वह इस मामले में दखलंदाजी करे। संयुक्त राष्ट्र ने इसे विवादित क्षेत्र घोषित किया है। साथ ही पाकिस्तान को इस क्षेत्र से अपनी सेना हटाने को कहा था, लेकिन अब पाकिस्तान का इस क्षेत्र में अंतरिम सरकार का गठन करके पाकिस्तान निर्वाचन आयोग की निगरानी में आम चुनाव कराने की तैयारी संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का बड़ा उल्लंघन है। इसलिए पाकिस्तान के इस कदम का विरोध संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधियों की ओर से किया जाना चाहिए।
पाक को गिलगिट-बलटिस्तान में बांध बनाने का हक नहीं है, यह भूमि भारत की है
विगत 13 मई को चीन की सरकारी निर्माण कंपनी ने पाकिस्तानी सेना की व्यापारिक इकाई फ्रंटियर वर्क्स आर्गेनाइजेशन से सिंधु नदी पर दियामेर-भाषा बांध बनाने का करार किया था। इस बांध के वर्ष 2028 तक पूरा होने पर इससे 4500 मेगा वॉट बिजली बनेगी। इस बांध की कुल लागत भारतीय मुद्रा में 280 अरब रुपये होगी। इसमें 70 फीसद योगदान चीन का और 30 फीसद पाकिस्तान का है, लेकिन पाकिस्तान को गिलगिट-बलटिस्तान की जमीन पर बांध बनाने का हक भी नहीं है, क्योंकि यह भूमि भारत की है। इस पर इस्लामिक देश पाकिस्तान ने अवैध तरीके से कब्जा किया हुआ है।
बांध के निर्माण से सिंध प्रांत की कृषि योग्य जमीन को होगा भारी नुकसान
इस लिहाज से पाकिस्तान का यह कदम भी संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का सीधा उल्लंघन है। इस बांध के निर्माण से ना सिर्फ यहां के पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा बल्कि चिलास जैसे शहर पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे। इससे सिंध प्रांत की कृषि योग्य जमीन को भी भारी नुकसान होगा। दंक्षिणी पाकिस्तान में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि तब बंजर जमीनों का इस्तेमाल प्रशासनिक और सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। कुल मिलाकर आज गिलगिट-बलटिस्तान के लोग पाकिस्तान और चीन के आतंक के साए में जीने को मजबूर हैं।