खालिस्तान आंदोलन को हवा दे रहा पाकिस्तान, भारत और कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बना खतरा
वरिष्ठ पत्रकार टेरी मिलेवक्सी की खालिस्तान ए प्रोजेक्ट ऑफ पाकिस्तान शीर्षक से इस रिपोर्ट में खालिस्तान आंदोलन की तहकीकात की है।
ओटावा, एएनआइ। पाकिस्तान ने एक बार फिर खालिस्तान आंदोलन को हवा देनी शुरू कर दी है। यह पाकिस्तान का ही भू-राजनीतिक प्रोजेक्ट है। खालिस्तानी आतंकी भारत और कनाडा, दोनों की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं। कनाडा के थिंक टैंक 'मैकडोनाल्ड लौरियर इंस्टीट्यूट' ने अपनी रिपोर्ट में यह पर्दाफाश किया है।
कनाडा के थिंक टैंक की रिपोर्ट से इस्लामाबाद हुआ बेनकाब
वरिष्ठ पत्रकार टेरी मिलेवक्सी की 'खालिस्तान : ए प्रोजेक्ट ऑफ पाकिस्तान' शीर्षक से इस रिपोर्ट में खालिस्तान आंदोलन की तहकीकात की है। यह रिपोर्ट बताती है कि खालिस्तान आंदोलन का बीज पाकिस्तान ने ही बोया था और वही आज तक इसे खाद-पानी दे रहा है। ये अलगाववादी उसी के रहमोकरम पर जिंदा हैं। भारत से लगातार आ रही खबरें बताती हैं कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद किस तरह का खतरा पैदा कर रहा है।
कनाडा में बैठे अलगाववादियों की मदद कर रहा पाकिस्तान
मिलेवक्सी ने रिपोर्ट में कहा है कि खालिस्तानी आतंकवादियों ने 35 साल पहले एयर इंडिया के विमान में बम विस्फोट किया था, जो कि 9/11 के आतंकी हमले से पहले दुनिया के हवाई यात्रा के इतिहास में सबसे बड़ा हमला था। हैरानी की बात है कि इस घटना के इतने साल बाद कनाडा और भारत में हिंसक अतिवादियों की नई पीढ़ी सामने आ रही है। इसमें कोई संदेह नहीं कि पाकिस्तान इन अलगाववादियों को लगातार समर्थन दे रहा है। सच्चाई यही है कि सिखों के गृह राज्य पंजाब में खालिस्तान आंदोलन का कहीं नामोनिशान तक नहीं है। चूंकि, पंजाब में खालिस्तान के कुछ ही समर्थक बाकी बचे हैं, इसलिए कनाडा में खालिस्तान के समर्थकों को पाकिस्तान की मदद बढ़ गई है। इनमें कई लोग आतंकवाद से भी जुड़े हैं। कनाडा के लोगों के लिए पाकिस्तान का यह कदम एक बड़ा राष्ट्रीय खतरा बन गया है।
कनाडा सरकार ने जनमत संग्रह को नहीं दी मान्यता
मिलेवक्सी के मुताबिक, खालिस्तानी आतंकी नवंबर 2020 में स्वतंत्र खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह कराना चाहते हैं। इससे दुनियाभर के सिख समुदाय में संशय पैदा हो गया है। हालांकि, कनाडा सरकार ने इस जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देने की बात कही है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि जनमत संग्रह से अतिवादी विचारधारा को संजीवनी मिल सकती है। इसके जरिये कनाडा के युवाओं को कट्टरता की ओर मोड़ा जा सकता है।
कनाडा में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पांच खतरों में से एक माना गया
कनाडा के नेता एवं प्रबुद्धजन अब खुद खालिस्तान आंदोलन को लेकर चिंता जता रहे हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री उज्जवल दोसांझ और विदेश नीति के जानकार शुभालय मजूमदार का कहना है कि इस रिपोर्ट से यह पता चलता है कि दुनिया के दो महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक देशों में पाकिस्तान प्रायोजित अतिवाद व आतंकवाद किस तरह फैल रहा है। अच्छी बात यह है कि पिछले दिनों पहली बार स्वतंत्र खालिस्तान की मांग को कनाडा में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पांच खतरों में से एक माना गया था।