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नेशनल डे पर चीन की आक्रामकता के विरोध में ताइवान का जवाब

China Taiwan Tension ताइवान पर चीन लंबे समय से अपना दावा करता है और दूसरे देशों को ताइवान से दूर रहने की धमकी देता है। 109वें नेशनल डे पर ताइवान ने चीन को कड़ा संदेश दिया है ।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 03:19 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 03:19 PM (IST)
नेशनल डे पर चीन की आक्रामकता के विरोध में ताइवान का जवाब
चीन की आक्रामकता पर ताइवान का कठोर संदेश

नई दिल्ली/ताइपेइ, आइएएनएस। नेशनल डे के मौके पर शनिवार को  बीजिंग को भेजे गए अपने सख्त संदेश में ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ( Tsai Ing-wen)  ने कहा कि लोकतंत्र के खिलाफ चीन की आक्रामकता के खिलाफ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर स्थापित करने में  ताइवान सक्रिय भूमिका निभाएगा। संयोग से ताइवान को देश भर से भारतीयों को व्यापक समर्थन मिला। चीन की चेतावनी के बावजूद भारतीयों ने ताइवान के राष्ट्रपति और अधिकारियों को सोशल मीडिया पर बधाई दी।  

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ताइवान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को ट्वीट किया- 'भारत से कई दोस्त ताइवान नेशनल  डे के जश्न में शामिल होने के लिए तैयार हैं। ताइवान में हमारे दिल इस अद्भुत समर्थन से खुश हैं। शुक्रिया। जब हम कहते हैं कि हमें भारत पसंद है, हम उसे मानते हैं। 'गेट लॉस्ट'। गौरतलब है कि इससे पहले जब भारत में चीनी दूतावास ने भारतीय मीडिया से कार्यक्रम से दूर रहने के लिए कहा था तब भी ताइवान ने चीन को करारा जवाब दिया था। 

चीन के दूतावास ने 7 अक्टूबर को भारत को एक धमकी भरा पत्र लिखा था। इसमें भारतीय मीडिया को चेताया था कि वे ताइवान को अलग से देश न कहें और  नही ताइवान की राष्ट्रपति त्साई को बताएं। इस पर नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को चीन से कहा कि भारतीय मीडिया स्वतंत्र है और इसे जो उचित दिखता है वही करता है। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया था, 'भारत धरती पर सबसे बड़ा लोकतंत्र है जहां जीवंत प्रेस और आजादपसंद लोग हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि कम्युनिस्ट चीन सेंसरशिप थोपकर उपमहाद्वीप में घुसना चाहता है। ताइवान के भारतीय दोस्तों का एक ही जवाब होगा- गेट लॉस्ट।' 

शनिवार को नेशनल डे के मौके पर ताइवान की राष्ट्रपति ने दक्षिण चीन सागर और पूर्व चीन सागर के साथ भारत-चीन सीमा विवाद का भी जिक्र किया। इसके अलावा उन्होंने ताइवान, हांग कांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का जिक्र करते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर विचार का मुद्दा है, इससे यह स्पष्ट है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति और सौहार्द्र को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 

 

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