Move to Jagran APP

चिली के अटाकामा मरुस्थल में मिले सबसे पुराने उल्कापिंडों का संग्रह

जूलॉजिकल जर्नल में प्रकाशित हुए अध्ययन के मुताबिक शोधकर्ताओं की टीम ने अटाकामा मरुस्थल के एल मेडानो क्षेत्र से 388 उल्कापिंडों में से 54 पथरीले नमूनों की जांच कर यह दावा किया है..

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 11:55 AM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 11:56 AM (IST)
चिली के अटाकामा मरुस्थल में मिले सबसे पुराने उल्कापिंडों का संग्रह
चिली के अटाकामा मरुस्थल में मिले सबसे पुराने उल्कापिंडों का संग्रह

लंदन, प्रेट्र। चिली के अटाकामा मरुस्थल में सबसे पुराने उल्कापिंडों का संग्रह खोजा गया है, जिसके बाद अब वैज्ञानिक यह पता लगा सकते हैं कि बीस लाख साल पहले उल्कापिंडों के पृथ्वी पर गिरने की दर क्या रही होगी। हर साल भारी मात्रा में पृथ्वी पर आसमान से पथरीले टुकड़े गिरते हैं, लेकिन इनके गिरने की दर समय के साथ-साथ बदलती रहती है।

loksabha election banner

फ्रांस के एक्स-मार्सिले यूनिवर्सिटी के एलेक्स ड्रॉउर्ड ने कहा कि लाखों वर्ष पहले उल्कापिंडों के गिरने की खगोलीय घटना से पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ा होगा हम अब इसका पता लगा सकते हैं। जूलॉजिकल जर्नल में प्रकाशित हुए अध्ययन में मुख्य लेखक ड्रॉउर्ड ने बताया कि हालांकि, अंटार्कटिका और गर्म रेगिस्तानों में क्रमश: 64 और 30 फीसद उल्कापिंड गिरते हैं, और इन दोनों ही इलाकों में मिलने वाले उल्कापिंड शायद ही पांच लाख साल पुराने हों।

ड्रॉउर्ड ने कहा कि उल्कापिंड मौसमी कारणों से स्वयं ही नष्ट हो जाते हैं, परंतु ये स्थान उनके लिए नए हैं, इसलिए पृथ्वी पर गिरने के बाद भी ये बहुत समय तक उसी स्थिति में बने रहते हैं। उन्होंने कहा कि चिली का अटाकामा मरुस्थल लगभग एक करोड़ साल पुराना है और यहां दुनिया के सबसे पुराने उल्कापिंडों के संग्रह पाए जाते हैं। शोधकर्ताओं की टीम ने अटाकामा मरुस्थल के एल मेडानो क्षेत्र से 388 उल्कापिंडों का संग्रहण कर 54 पथरीले नमूनों की जांच की। कॉस्मोजेनिक ऐज डेटिंग का प्रयोग कर उन्होंने पाया कि ये सभी लगभग साल लाख दस हजार साल पुराने हैं। उन्होंने बताया कि कुल नमूनों में से 30 फीसद नमूने लगभग दस लाख साल पुराने पाए गए, जबकि दो नमूने 20 लाख साल पुराने निकले।

शोधकर्ताओं ने बताया कि सभी 54 उल्कापिंड पथरीले थे, जिसमें खनिज होते हैं। लेकिन, तीन बिल्कुल अलग किस्म के थे। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उल्कापिंडों का यह संग्रह पृथ्वी की सतह पर सबसे पुराना है। ड्राउर्ड ने कहा कि अटाकामा में मिले ये उल्कापिंड शोधकर्ताओं के लिए लंबे समय में इनकी गिरने की दर का पता लगाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अध्ययन में हमने पाया कि 20 लाख की अवधि में उल्कापिंडों के गिरने का प्रवाह स्थिर बना रहा। इस दौरान हर साल लगभग एक वर्ग किलोमीटर में 10 ग्राम से बड़े 222 उल्कापिंड गिरे, लेकिन इनकी संरचना एक-सी नहीं थी। ड्राउर्ड ने कहा कि अब उनकी शोध टीम ने अपने काम का विस्तार करने की योजना बनाई है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अंतरिक्ष में उल्कापिंडों ने कितना समय बिताया होगा।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.