अब जर्मनी की कोर्ट ने स्कूल में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाया
जर्मनी की कोर्ट ने वहां के स्कूलों में पढ़ने के लिए जाने वाली स्टूडेंट्स के हिजाब पहनने के प्रतिबंध को हटा दिया है।
नई दिल्ली, एजेंसी। जर्मनी में अधिकतर राजनीतिक पार्टियां यहां की महिलाओं के बुर्का और हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने की समर्थक रही है। मगर अब वहां की अदालत ने जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में बुर्का पहनने पर लगी रोक को हटा दिया है। इसके बाद से वहां पर एक नई बहस छिड़ गई है।
दरअसल 2018 में जर्मनी के नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया राज्य में विवाद हुआ था। उस समय यहां 14 साल से छोटी बच्चियों के स्कूल में मुंह ढकने वाले स्कार्फ और हिजाब पर प्रतिबंध लागू करने की योजना बनाई थी। इसी के बाद एक स्कूली छात्रा ने इसका विरोध करते हुए कोर्ट में केस फाइल कर दिया था, इस केस की सुनवाई करते हुए ही अब कोर्ट ने ये आदेश दिया है कि छात्राओं का स्कूल में हिजाब पहनना किसी भी तरह से जरूरी नहीं है। ये आदेश हैम्बर्ग शहर की एक अदालत ने दिया है।
हैम्बर्ग के स्कूली अधिकारियों ने 16 वर्षीय छात्रा की मां से कहा था कि वे सुनिश्चित करें कि उनकी बेटी कक्षा में बैठने के दौरान पूरे चेहरे को ढकने वाला बुर्का ना पहने। इस निर्देश को अदालत में चुनौती दी गई थी। अदालत ने फैसला देते हुए कहा कि नियमों के मुताबिक अधिकारियों के पास इस तरह के प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है। 16 वर्षीय छात्रा रिटेल सेल्स की पढ़ाई कर रही है। अदालत ने कहा है कि उसके पास अपनी धार्मिक स्वतंत्रता की बिना किसी शर्त के सुरक्षा का अधिकार है। डीडब्ल्यू साइट के अनुसार इस प्रतिबंध को हटा दिया गया है।
हैम्बर्ग के सोशल डेमोक्रैटिक शिक्षा मंत्री टाइस राबे ने कहा कि इस प्रतिबंध को लागू करने के लिए वो सरकारी नियमों में बदलाव करेंगे। उन्होंने कहा कि इसका कोई फर्क नहीं पड़ता कि संस्कृति और धर्म क्या कहते हैं लेकिन स्कूल में हर छात्र-छात्रा को अपना चेहरा खुले में दिखाना होता है। उन्होंने कहा कि स्कूली अधिकारियों का मानना है कि सभी संस्कृतियों और धर्मों से बच्चे और युवा कक्षा की गतिविधियों में समान रूप से हिस्सा ले सकें।
उनका कहना है कि जब किसी विद्यार्थी का चेहरा पूरी तरह ढका होता है तो यह एक सीमा के पार होने जैसा है जिससे पूरी तरह सिखाने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। दरअसल जर्मनी में शिक्षा से संबंधित कानून केंद्र सरकार नहीं बनाती। इस तरह के कानून वहां की राज्य सरकारें बनाती हैं। इस विवाद के बाद पूरे देश में स्कूल में बुर्का पहनने पर बहस छिड़ गई है।