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दुनिया जूझ रही कोरोना से, किम जोंग उन हथियारों से, अब नई आइसीबीएम के परीक्षण की तैयारी

दुनिया भले ही कोरोना वायरस के खतरे से जूझ रही हो लेकिन उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन हथियारों के विकास में व्यस्त हैं। पढ़ें यह दिलचस्‍प रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 08:46 PM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 09:02 PM (IST)
दुनिया जूझ रही कोरोना से, किम जोंग उन हथियारों से, अब नई आइसीबीएम के परीक्षण की तैयारी
दुनिया जूझ रही कोरोना से, किम जोंग उन हथियारों से, अब नई आइसीबीएम के परीक्षण की तैयारी

सियोल, एपी। पड़ोसी देश चीन और दक्षिण कोरिया समेत सारी दुनिया भले ही कोरोना वायरस के खतरे से जूझ रही हो लेकिन उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन हथियारों के विकास में व्यस्त हैं। गुरुवार को किम ने अपनी सेना के तोपखाने का अभ्यास देखा। माना जा रहा है कि इस अभ्यास का उद्देश्य उत्तर कोरिया की युद्ध क्षमता को बढ़ाना था। इस बीच अमेरिका की उत्तरी कमान के प्रमुख जनरल टेरेंस ओशौगनेसी ने कहा है कि उत्तर कोरिया नई अंतर महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) के परीक्षण की तैयारी कर रहा है। इससे अमेरिका पर हमले का खतरा बढ़ेगा।

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अमेरिका के शीर्ष जनरल ने संसद की सैन्य मामलों की उपसमिति के समक्ष पेश रिपोर्ट में यह बात कही है। 2017 में हुए आइसीबीएम के परीक्षणों के बाद किम जोंग उन ने घोषणा की थी कि मिसाइलों के विकास और परीक्षण का दौर पूरा हुआ, अब उनकी तैनाती की जाएगी। इसके बाद उत्तर कोरिया ने समय-समय पर कम दूरी की मिसाइलों का परीक्षण किया। लेकिन अब वह ज्यादा दूरी तक मार करने में सक्षम बैलेस्टिक मिसाइल के परीक्षण की तैयारी कर रहा है। इससे अमेरिका की सुरक्षा पर खतरा बढ़ सकता है। दिसंबर में किम जोंग ने कहा था कि उत्तर कोरिया की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए नए हथियारों की जरूरत है। इसके लिए जल्द जरूरी उपाय किए जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि उत्तर कोरिया परमाणु हथियार की क्षमता वाला राष्ट्र है। उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए के अनुसार गुरुवार को सेना की विभिन्न इकाइयों के बीच तोपों की फायरिंग का अभ्यास हुआ। इससे हमले और बचाव की तैयारी को परखने का मौका मिला। अभ्यास के बाद किम जोंग उन ने तोपखाना रेजीमेंट की तैयारी की प्रशंसा की। कहा, वह युद्ध में दुश्मन पर टूट पड़ने को तैयार है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस तरह का अभ्यास नियमित तौर पर किया जाए और इन्हें सेना की अन्य इकाइयों में भी कराया जाए।


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