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उत्तर कोरिया ने फिर की दो मिसाइल लॉन्‍च, अमेरिका से संबंधों पर क्‍या पड़ेगा असर

उत्तर कोरिया ने जापानी सागर में दो मिसाइलें दागकर जिस मंशा को जगजाहिर किया है वह अमेरिका से उसके रिश्‍तों पर क्‍या असर डालेगी यह सवाल काफी बड़ा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 12:32 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 12:32 PM (IST)
उत्तर कोरिया ने फिर की दो मिसाइल लॉन्‍च, अमेरिका से संबंधों पर क्‍या पड़ेगा असर
उत्तर कोरिया ने फिर की दो मिसाइल लॉन्‍च, अमेरिका से संबंधों पर क्‍या पड़ेगा असर

नई दिल्‍ली/प्योंगयांग। उत्तर कोरिया ने फिर से दो शॉर्ट रेंज मिसाइल लॉन्‍च (Short Range Missile) कर कहीं न कहीं ये जता दिया है कि वह अपने मिसाइल प्रोग्राम को जारी रखे हुए है। इसके अलावा यह मिसाइल परीक्षण इस बात का भी संकेत है कि उसका निकट भविष्‍य में अपने मिसाइल कार्यक्रम को रोकने का कोई इरादा नहीं है। जापान और अमेरिका ने इन मिसाइलों को शॉर्ट रेंज मिसाइल बताया है। इसका असर अमेरिकी उत्तर कोरिया पर कैसा होगा यह देखने लायक है।  

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हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब उत्तर कोरिया ने इस तरह का मिसाइल परीक्षण किया हो। इससे पहले उत्तर कोरिया ने गत 18 अप्रैल को एक गाइडेड मिसाइल का परीक्षण किया था। मई में भी उत्तर कोरिया ने कम दूरी की दो मिसाइलें दागी थीं। ये मिसाइलें सिनो-री शहर के पास से दागी गई थीं जो 270 और 420 किमी दूर तक गई थीं। ये सभी मिसाइलें इसी वर्ष फरवरी में वियतनाम में अमेरिका से शिखर वार्ता के विफल होने के बाद दागी गई थीं।

कम दूरी की थी मिसाइलें
दक्षिण कोरिया के ज्‍वाइंट चीफ ऑफ स्‍टाफ के मुताबिक ये दोनों मिसाइलें उत्तर कोरिया के वोनसन शहर की तरफ से दागी गई थीं जो बाद में जापान के सागर में जाकर गिरीं। उनके मुताबिक दक्षिण कोरिया के अधिकारी इससे जुड़े दूसरे आंकड़े जानने में लगे हैं। दक्षिण कोरिया के मुताबिक यह दोनों मिसाइलें 25 मिनट के अंतर से दागी गई थीं। पहली मिसाइल को सुबह करीब 5 बचकर 34 मिनट पर तो दूसरी को 5 बजकर 57 मिनट पर दागा गया था। 430 किमी दूर यह जापानी सागर में समा गईं।

अमेरिका से वार्ता की विफलता
आपको यहां पर बता दें कि किम जोंग उन दो बार अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से औपचारिक वार्ता कर चुके हैं। इनमें से पहली शिखर वार्ता पिछले वर्ष जून में सिंगापुर में तो दूसरी इस वर्ष फरवरी में वियतनाम में हुई थी। इसके अलावा तीसरी बार ये दोनों नेता दोनों कोरियाई देशों की सीमा पर स्थित डिमिलिट्राइज्‍ड जोन (Demilitarised Zone) में जून के अंत में मिले थे। इन तीनों ही मुलाकात में किम का मकसद अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को हटाना था। हालांकि राष्‍ट्रपति ट्रंप इस पर राजी नहीं हुए थे।

एक नजर इधर भी
फरवरी में वियतनाम वार्ता के बेनतीजा खत्‍म होने की भी वजह यही थी। इसके बाद मई में उत्तर कोरिया ने जो दो मिसाइलें दागी थीं उसका कारण वार्ता के विफल होने को माना जा रहा था। हालांकि यहां पर एक बात और अहम है, वो ये कि उत्तर कोरिया ने 2018 में किसी भी तरह का कोई परीक्षण नहीं किया था। नवंबर, 2017 में उत्तर कोरिया ने अंतिम बार मिसाइल परीक्षण किया था। यह इस बात का भी संकेत है कि किम जोंग उन भी उत्तर कोरिया के खिलाफ लगने वाले प्रतिबंधों से चिंतित हैं और इनको खत्‍म करवाने के प्रति जागरुक भी हैं।  

ट्रंप का दोस्‍ताना रवैया 
बीते तीन वर्षों में अमेरिका की तरफ से बार-बार उत्तर कोरिया से संबंध सुधारने की बात कही जाती रही है। इतना ही नहीं किम को डिमिलिट्राइज्‍ड जोन पर मुलाकात करने का निमंत्रण देने के समय भी राष्‍ट्रपति ट्रंप ने किम की तारीफ करते हुए उन्‍हें अच्‍छा दोस्‍त बताया था। इस मुलाकात से पहले उन्‍होंने उत्तर कोरिया के सभी मिसाइल परीक्षणों को ही नहीं बल्कि किम की तरफ से दिखाई जा रही सख्‍ती को भी नजरअंदाज किया था। यही वजह है कि ट्रंप के पुराने रुख को देखते हुए इस बार भी माना जा रहा है कि ट्रंप इस परीक्षण को भी किम से भविष्‍य में होने वाली वार्ता में कोई तवज्‍जो नहीं देंगे।

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