बांग्लादेश की फिर बड़ी मुसीबत, म्यांमार जाने को कोई रोहिंग्या राजी नहीं
वर्ष 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए लाखों रोहिंग्या मुसलमान पड़ोसी देश बांग्लादेश आ गए थे।
ढाका, एएफपी। बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार ले जाने की कोशिशें फिर नाकाम होती दिख रही हैं। रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के लिए गुरुवार को पांच बसें और दस ट्रक बांग्लादेश के टेकनाफ शरणार्थी शिविर पहुंचे। लेकिन एक भी रोहिंग्या परिवार म्यांमार जाने को राजी नहीं हुआ। इससे पहले पिछले साल नवंबर में भी शरणार्थियों को वापस भेजने की कोशिश विफल रही थी।
बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों में म्यांमार में अपनी सुरक्षा और नागरिकता को लेकर संशय बरकरार है। वर्ष 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए लाखों रोहिंग्या मुसलमान पड़ोसी देश बांग्लादेश आ गए थे।
तब से उनकी सुरक्षित वापसी को लेकर कई बार प्रयास किए जा चुके हैं। म्यांमार के शीर्ष अधिकारियों ने हाल में बांग्लादेश आकर शरणार्थियों को वापस लेने का आश्वासन भी दिया था। रोहिंग्या विस्थापन मुद्दे पर नजर रख रहे संयुक्त राष्ट्र (UN) ने बुधवार को कहा था कि शरणार्थियों की वापसी उनकी इच्छा से होनी चाहिए।
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बता दें कि पिछले दिनों बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस उनके देश म्यांमार भेजने के मामले में जापान ने बांग्लादेश और म्यांमार के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी। जापान के विदेश मंत्री तारा कोनो और बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन के बीच हुई बैठक के दौरान यह पेशकश की गई थी।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 के दौरान पश्चिमी म्यांमार में सैन्य कार्रवाइयों के चलते सात लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को राखिन प्रांत से पलायन करना पड़ा था। UN की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा में लगभग 400 रोहिंग्या गांवों को आग के हवाले कर दिया गया था। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय दबावों के चलते म्यांमार इन शरणार्थियों की बात कहता रहा है और बांग्लादेश पर वापसी के प्रयासों में असफल होने का आरोप भी लगाता रहा है।