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नीरव मोदी की मुश्किलें बढ़ीं, सीबीआइ ने लगाए दो नए आरोप, न्यायिक हिरासत भी बढ़ी

पीएनबी घोटाले के आरोपित नीरव मोदी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सीबीआइ की ओर से उस पर दो नए आरोप लगाए गए हैं। यही नहीं उसकी न्यायिक हिरासत की अवधि भी बढ़ा दी गई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 15 Apr 2020 10:40 PM (IST)Updated: Thu, 16 Apr 2020 01:37 AM (IST)
नीरव मोदी की मुश्किलें बढ़ीं, सीबीआइ ने लगाए दो नए आरोप, न्यायिक हिरासत भी बढ़ी
नीरव मोदी की मुश्किलें बढ़ीं, सीबीआइ ने लगाए दो नए आरोप, न्यायिक हिरासत भी बढ़ी

लंदन, पीटीआइ। एक ब्रिटिश अदालत ने पीएनबी घोटाले के आरोपित नीरव मोदी की न्यायिक हिरासत अवधि बढ़ा दी है। नीरव के प्रत्यर्पण मामले पर अब अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी। इसके अलावा सीबीआइ की ओर से उस पर दो नए आरोप लगाए जाने की बात भी सामने आई है जिन्हें ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल फरवरी में ही प्रमाणित कर चुकी हैं। सीबीआइ ने नीरव मोदी पर जो अतिरिक्त आरोप लगाए हैं उनमें सुबूतों को मिटाना और गवाहों को धमकाना अथवा मौत की आपराधिक धमकी देना शामिल हैं।

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पिछले साल हुई गिरफ्तारी के बाद से नीरव मोदी दक्षिण-पश्चिम लंदन स्थित वैंड्सवर्थ जेल में बंद है। लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत के एक अधिकारी ने बताया, 'केस मैनेजमेंट के लिए मामला 28 अप्रैल को सूचीबद्ध है जब वीडियो लिंक के जरिये उसे फिर पेश होना है।' मंगलवार को नीरव की कानूनी टीम और भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रही क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने सिर्फ वकीलों के लिए केस मैनेजमेंट सुनवाई की। इसके बाद 11 से 15 मई तक भी पांच दिन सुनवाई होनी है।

क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस का कहना है कि सीबीआइ द्वारा लगाए गए दो अतिरिक्त आरोप अभी प्रत्यर्पण मामले के साथ नहीं जोड़े गए हैं। उन पर अभी अलग-अलग सुनवाई होने की ही संभावना है। सुनवाई के लिए सभी आरोपों को इस साल के आखिर तक एक साथ जोड़े जाने की संभावना है। क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस के प्रवक्ता ने बताया कि नीरव मोदी के खिलाफ दो आपराधिक प्रक्रियाएं चल रही हैं। एक मामला सीबीआइ का है और दूसरा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का है।

सीबीआइ का मामला फर्जी तरीके से लैटर्स ऑफ अंडरस्टैंडिंग हासिल करके पीएनबी के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करने से जुड़ा है जबकि ईडी का मामला इस धोखाधड़ी से हासिल धन की लांड्रिंग से जुड़ा है। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी की वजह से ब्रिटेन में अधिकतर कानूनी मामलों की सुनवाई वीडियो लिंक के जरिये की जा रही है। जबकि जेलों में कैदियों की संख्या घटाने के लिए चार हजार कैदियों को सजा पूरी होने से पहले रिहा करने की घोषणा की गई है।


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