न्यूजीलैंड में प्लास्टिक बैग पर लगा प्रतिबंध, उत्पादन करने वाली कंपनियों पर लगेगा भारी जुर्माना
प्लास्टिक से जुड़ी कंपनियां इस प्रतिबंध को तोड़ने कि कोशिश करेंगी। उन कंपनियों को भारी जुर्माना का सामना करना पड़ेगा।
वेलिंगटन, एएफपी। सोमवार को न्यूजीलैंड ने आधिकारिक तौर पर खुदरा विक्रेताओं के लिए प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है। न्यूजीलैंड के आधिकारी ने कहा है कि जो भी प्लास्टिक शॉपिंग बैग का प्रयोग जारी रखते हैं, उन व्यवसायों पर भारी जुर्माना पेश किए जाएगा।
प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक चिंता बन गया है। जिसमें एक लाख पक्षी और एक लाख से अधिक समुद्री स्तनधारी घायल हो गए हैं, हर साल पैकेजिंग में उलझ जाते हैं या खाद्य श्रृंखला के माध्यम से इसे नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक से जुड़ी कंपनियां इस प्रतिबंध को तोड़ने कि कोशिश करेंगी। उन कंपनियों को भारी जुर्माना का सामना करना पड़ेगा। जिसमें एक लाख न्यूजीलैंड डॉलर तक का जुर्माना शामिल है।
पर्यावरण मंत्री यूजनी सेज ने कहा कि न्यूजीलैंड के लोगों को हमारे देश की स्व्चछता, हरित प्रतिष्ठा पर गर्व होना चाहिए। हम इसे जीने में मदद करना चाहते हैं। खुदरा विक्रेताओं के लिए प्लास्टिक बैग के उपयोग को समाप्त करने से ऐसा करने में मदद मिलती है। नए नियमों के तहत, पतले प्लास्टिक के खुदरा उपयोग वाले शॉपिंग बैग की आपूर्ति नहीं की जा सकती है।
कानून पुन: प्रयोज्य वाहक को प्रदान करने की अनुमति देता है। कानून को पिछले साल अगस्त में घोषित किया गया था, जिसे सोमवार से लागू कर दिया गया। प्लास्टिक प्रतिबंध के नियम से थोड़ा व्यावहारिक प्रभाव होगा। मालूम हो कि न्यूजीलैंड के प्रमुख सुपरमार्केट पहले ही स्वैच्छिक रूप से बैग पर प्रतिबंध लगा चुके हैं।
हालांकि, सागा ने रेडियो न्यूजीलैंड में बताया है कि इस रीसाइक्लिंग के मुद्दे को एजेंडा में डाल जा रहा है। प्रतिबंध बहुत दूर नहीं जाता है, लेकिन जो वास्तव में बहुत अच्छा है। लोग अब एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के बारे में बात कर रहे हैं। हम उन्हें कैसे चरणबद्ध कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार अब तक 80 से अधिक देशों ने पहले से प्लास्टिक बैग में समान लेने पर प्रतिबंध लगाए हैं।
भारत में प्लास्टिक की समस्या
भारत में अब तक बीस राज्यों में प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाए गया है। एक अनुमान के मुताबिक हर साल 5.6 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। देश के 60 फीसद प्लास्टिक कचरे को दुनिया के महासागरों में फेंक दिया जाता है। एनवायरमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अनुसार दुनिया की दस नदियों में से तीन जो महासागरों में 90 फीसद प्लास्टिक ले जाती हैं, उसमें भारत के तीन प्रमुख नदी सिंधु, गंगा और ब्रम्हपुत्र हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड( CPCB) ने जनवरी 2015 की आकलन रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय शहर हर दिन 15 हजार टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करते हैं। यह कचरा 10 प्रति टन पर 1,500 ट्रक भरने के लिए पर्याप्त है । जिनमें से 9 हजार टन कचरा को एकत्र करके संसाधित किए जाता है।
बता दें कि भारत में लगभग 60 फीसद प्लास्टिक कचरा मिश्रित अपशिष्ट है। जिसमें पॉलीबैग और पाउच का उपयोग भोजन पैक करने के लिए किया जाता है। जिसमें मुख्य रूप से सबसे ज्यादा आवासीय इलाकों में मिलता है। मई 2012 में सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश न्यायमूर्ति सिंघवी और न्यायमूर्ति मुखोपाध्याय ने कहा था कि जब तक कि प्लास्टिक पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है, तब तक अगली पीढ़ी को परमाणु बम से अधिक गंभीर खतरा कचरा से ही है।