ग्लोबल वार्मिंग को लेकर एआई की नई रिपोर्ट, अगले 10 साल में 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड की सीमा हो सकती है पार
पिछले कुछ सालों से पर्यावरण के लिए ग्लोबल वार्मिंग एक चिंताजनक विषय बना हुआ है। पेरिस समझौते में गर्म होती पृथ्वी के औसत तापमान को नीचे बकरार रखने के लिए एक लक्ष्य तय हुआ था जिसमें ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर तक सीमित करना है। फाइल फोटो।
बोस्टन, पीटीआई। पिछले कुछ सालों से पर्यावरण के लिए ग्लोबल वार्मिंग एक चिंताजनक विषय बना हुआ है। पेरिस समझौते में गर्म होती पृथ्वी के औसत तापमान को नीचे बकरार रखने के लिए एक लक्ष्य तय हुआ था जिसमें ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर तक सीमित करना है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी (एआइ) की एक नई रिपोर्ट ने चेताया है कि 1.5 डिग्री की सीमा अगले 10-15 साल में पार हो सकती है।
जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी करने के लिए एआइ को किया गया है नियुक्त
एआइ के अध्ययन के मुताबिक, यदि अगले कुछ दशकों में उत्सर्जन उच्च रहता है, तो 50 प्रतिशत संभावना है कि इस शताब्दी के मध्य तक पृथ्वी पूर्व औद्योगिक स्तर की सीमा दो डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो जाएगी और 80 प्रतिशत से अधिक संभावना है कि यह 2060 तक उस सीमा तक पहुंच सकती है। जर्नल प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज में प्रकाशित इस शोध में एआई को दुनिया भर के हालिया तापमान अवलोकनों का उपयोग करके जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी करने के लिए नियुक्त किया गया है।
पहले से ही पर्याप्त हो चुकी है वार्मिंग
अध्ययन के प्रमुख लेखक अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में जलवायु वैज्ञानिक नूह डिफेनबाघ ने कहा कि भविष्यवाणी करने के लिए जलवायु प्रणाली की वर्तमान स्थिति पर निर्भर एक पूरी तरह से नए दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए हम पुष्टि करते हैं कि दुनिया 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करने के कगार पर है। डिफेनबाघ ने कहा कि हमारा एआइ माडल काफी आश्वस्त है कि पहले से ही पर्याप्त वार्मिंग हो चुकी है, जो दो डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की संभावना है।
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