यूरोपा पर पानी की मौजूदगी के नए सुबूत मिले, वैज्ञानिकों को भविष्य के मिशनों में मिलेगी मदद
जमे हुए पानी की परत का अनुमान लगाकर यह माना जाता रहा कि यूरोपा पर ऐसी पर्यावरणीय परिस्थितियां हैं जो जीवन के सरल रूपों के लिए अनुकूल हो सकती हैं।
गोटिंगेन (जर्मनी), एएनआइ। जर्मनी स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर सोलर सिस्टम रिसर्च (एमपीएस) के शोधकर्ताओं के एक समूह ने बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा के पास पानी की मौजूदगी के नए सबूत पाए हैं। यूरोपा के एक फ्लाई-बाय के दौरान, नासा के मानवरहित अंतरिक्ष यान गैलीलियो ने भी 20 साल पहले कुछ ऐसा ही देखा था। इसके बाद अमेरिका के एमपीएस में विकसित ऑनबोर्ड पार्टिकल डिटेक्टर द्वारा एकत्रित किए गए डाटा को कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिये दोबारा उत्पन्न करने की कोशिश की गई। अब तक केवल यह माना जाता था कि यूरोपा पर पानी है। जमे हुए पानी की परत का अनुमान लगाकर यह माना जाता रहा कि यूरोपा पर ऐसी पर्यावरणीय परिस्थितियां हैं जो जीवन के सरल रूपों के लिए अनुकूल हो सकती हैं। ऐसे में पानी की मौजूदगी की यह अवधारणा बृहस्पति पर भविष्य के मिशनों में जल भंडार के सीधे संपर्क में आने की संभावनाएं प्रदान करती हैं।
तरल लोहे की कोर, एक पतली ऑक्सीजन युक्त वातावरण, चुंबकीय क्षेत्र से युक्त आंतरिक संरचना बृहस्पति के चौथे सबसे बड़े चंद्रमा यूरोपा में एक आदिम चंद्रमा की तुलना में एक ग्रह के साथ अधिक समानता दिखती है।
जमा हुआ पानी 18 किलोमीटर की मोटी बाहरी परत से है ढका
एक और विशेष लक्षण यह है कि यहां मौजूद उपसतह महासागर जमे हुए पानी की 18 किलोमीटर की मोटी बाहरी परत से ढकी है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और एमपीएस के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक समूह द्वारा की नई गणना में इस बात के सुबूत बढ़ रहे हैं कि यूरोपा इस पानी को कभी-तभी अंतरिक्ष में छोड़ देता है। ज्वालामुखीय विस्फोट के वक्त ऐसा ज्यादा होता है।
यूरोपा भी अंतरिक्ष में पानी फैलाता है
नेप्च्यून का चंद्रमा ट्राइटन और प्लूटो का चंद्रमा चारोन भी ऐसा ही व्यवहार प्रदर्शित करने के लिए जाना जाता है। नासा के कैसिनी मिशन के दौरान, ऑनबोर्ड कैमरों ने शनि के चंद्रमा एनसेलाडस द्वारा निकाले गए पानी के भंडार की शानदार छवियां लीं। हालांकि अब तक यह सुबूत नहीं मिले हैं कि यूरोपा भी अंतरिक्ष में पानी फैलाता है। इस बारे में एमपीएस के वैज्ञानिक डॉ. एलियास रूसो का कहना है कि विभिन्न सिद्धांतों, मॉडल और टिप्पणियों से पता चलता है कि यूरोपा भी अंतरिक्ष में पानी फैलाता है।
हाल के वर्षो में, यूरोप और अमेरिका के कई संस्थानों के शोधकर्ताओं ने इसके सुबूत भी पाए हैं। इनमें से कुछ समूहों ने नासा के गैलीलियो अंतरिक्ष यान में मैग्नेटोमीटर से हासिल डाटा का मूल्यांकन किया। 2000 में यूरोपा के एक फ्लाईबाय के दौरान, डाटा ने यूरोपा के पास बृहस्पति के चुंबकीय क्षेत्र में विचलन दिखाया। ये एक ही समय में होने वाले प्लम के कारण हो सकते हैं।
फ्लाईबाई के डाटा पर दोबारा गौर किया
एमपीएस में डॉक्टरेट की थीसिस में वैज्ञानिक डॉ. हंस ह्यूब्रिघ्स और उनके सहयोगियों ने भी 2000 में फ्लाइबाई के डाटा पर दोबारा गौर किया। हालांकि, इस बार, उन्होंने एनर्जेटिक पाíटकल डिटेक्टर (ईपीडी) द्वारा जुटाए गए आंकड़ों पर नजर डाली। इस उपकरण को जॉन्स हॉपकिंस यूनिवíसटी के एप्लाइड फिजिक्स लैबोरेटरी और एमपीएस में विकसित और निíमत किया गया था। अन्य बातों के अलावा, ईपीडी ने बृहस्पति के चुंबकीय क्षेत्र में फंसे उच्च-ऊर्जा प्रोटॉन के वितरण को दर्ज किया।
एमपीएस के शोधकर्ता डॉ, नॉर्बर्ट क्रूप ने कहा, 'बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की तुलना में 20 गुना अधिक शक्तिशाली है और कई लाख किलोमीटर की दूरी तक फैला है।'
यूरोपा इस विशाल चुंबकीय सुरक्षा कवच के भीतर बृहस्पति की परिक्रमा करता है। फ्लाईबाय के दौरान, ईपीडी ने यूरोपा के नजदीक उम्मीद के मुकाबले काफी कम प्रोटॉन दर्ज किए।