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भारत और चीन के विरोधी एनजीओ पर चलेगा नेपाल का चाबुक, उठाया जाएगा कड़ा कदम

नेपाल अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) से संबंधित एक नीतिगत मसौदा तैयार कर रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 08:33 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 08:33 PM (IST)
भारत और चीन के विरोधी एनजीओ पर चलेगा नेपाल का चाबुक, उठाया जाएगा कड़ा कदम
भारत और चीन के विरोधी एनजीओ पर चलेगा नेपाल का चाबुक, उठाया जाएगा कड़ा कदम

काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) से संबंधित एक नीतिगत मसौदा तैयार कर रहा है। इस मसौदे में विदेशी एनजीओ को नेपाल में काम करने से रोकने का प्रावधान होगा। ये वे एनजीओ हैं जिनके कामकाज पर भारत और चीन को एतराज है। नेपाल दोनों बड़े पड़ोसी देशों से संबंध सामान्य बनाए रखने के लिए यह कदम उठा रहा है।

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नेपाल के लिए दो बड़े पड़ोसियों से संबंधों का संतुलन बनाए रखने की चुनौती

भारत और चीन के लिए सीमापार से आने वाले आतंकी और अपराधी बड़ी समस्या रहे हैं। भारत को पाकिस्तान द्वारा पोषित इस्लामिक आतंकवाद से खतरा बना रहता है तो चीन को नेपाल के जरिये तिब्बतियों के अवैध रूप से आने-जाने पर समस्या रहती है। नेपाल के भीतर सीमा के नजदीक तेजी से बने मदरसे भी भारत के लिए चिंता का विषय रहे हैं। ये मदरसे कतर, सऊदी अरब और तुर्की की आर्थिक सहायता से बने हैं और भारत में धार्मिक कट्टरता फैला रहे हैं।

नेपाल की विदेश नीति में दो बड़े पड़ोसियों से संबंधों का संतुलन बनाए रखने की चुनौती रहती है। काठमांडू पोस्ट अखबार के मुताबिक नेपाल के उत्तर और दक्षिण में विशाल जनसंख्या वाले दो देश हैं। दोनों का नेपाल की जनता पर कई तरह का प्रभाव भी है। इसलिए नेपाल किसी भी विदेशी संगठन को ऐसा करने की इजाजत नहीं देगा जिससे भारत और चीन के साथ उसके संबंधों पर असर पड़े।

सीमावर्ती इलाकों में काम करने वाले एनजीओ पर रहेगी नजर

नेपाल की समाज कल्याण परिषद द्वारा तैयार किए जा रहे इस मसौदे को सरकार अंतिम रूप देगी और इसके बाद उसे संसद में रखा जाएगा। वहां से पारित होने पर यह कानून का रूप लेगा। परिषद के सूचना अधिकारी दुर्गा प्रसाद भट्टराई के अनुसार प्रस्तावित मसौदे में पड़ोसी देशों की चिंताओं का ध्यान रखा गया है। इसमें सीमावर्ती इलाकों में कार्य करने वाले एनजीओ पर खासतौर पर ध्यान दिया जाएगा। प्रस्तावित नीति का उद्देश्य रणनीतिक कारणों से चलाए जा रहे एनजीओ की गतिविधियां रोकना है। उनसे होने वाले विदेशी संबंधों के नुकसान से खुद को बचाना है।


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