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नेपाल की सुप्रीम कोर्ट 'संसद भंग' मामले में आज सुना सकता है फैसला

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति भंडारी ने पांच महीने में दूसरी बार 22 मई को संसद के निचले सदन को भंग कर दिया था और 12 व 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 30 याचिकाएं दाखिल की हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 12 Jul 2021 03:23 AM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 03:23 AM (IST)
नेपाल की सुप्रीम कोर्ट 'संसद भंग' मामले में आज सुना सकता है फैसला
अदालत के फैसले से देश में महीनों से चल रहा राजनीतिक गतिरोध समाप्त हो सकता है।

काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल का सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति विद्या भंडारी द्वारा संसद को भंग किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सोमवार को फैसला सुना सकता है। अदालत के फैसले से देश में महीनों से चल रहा राजनीतिक गतिरोध समाप्त हो सकता है।

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राष्ट्रपति ने 22 मई को संसद के निचले सदन को भंग कर दिया था, सुप्रीम कोर्ट में 30 याचिकाएं दाखिल

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति भंडारी ने पांच महीने में दूसरी बार 22 मई को संसद के निचले सदन को भंग कर दिया था और 12 व 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 30 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। 275 सदस्यीय सदन में विश्वास मत हारने के बाद ओली अभी अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

Nepal: Supreme Court issues show case notice to President & PM in House  dissolution case

विपक्ष ने दाखिल याचिका में निचले सदन की बहाली और देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने की मांग की

विपक्षी दलों के गठबंधन की तरफ से भी एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें संसद के निचले सदन की बहाली व नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का अनुरोध किया गया है। इस पर 146 सांसदों के हस्ताक्षर हैं।


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